चीन में लगातार बढ़ रहे रेस्पिरेटरी बीमारी के मामले, जानें भारत में इसका कितना खतरा

कोरोना महामारी के बाद चीन में एक और बीमारी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। यहां बीते कुछ दिनों से लगातार रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारी के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में अब इस बीमारी में दुनियाभर में लोगों की चिंता बढ़ा दी है। आइए जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी सभी जरूरी बातें और यह भारत के लिए कितना खतरनाक है।
कोरोना महामारी का दंश झेल चुकी पूरी दुनिया आज भी उस खौफनाक मंजर को भूल नहीं पाएं। इस गंभीर बीमारी की वजह से दुनियाभर में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इस महामारी की शुरुआत चीन से हुई थी, जहां वुहान शहर से इसका पहला मामला सामने आया था और फिर धीरे-धीरे से इस वायरस से पूरी दुनिया में कोहराम मचा दिया था। इसी बीच अब चीन में एक और बीमारी कहर बरपा रही है। बीते कुछ समय से यहां पर लगातार रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारी के मामले सामने आ रहे हैं।
इस बीमारी की वजह से चीन के अस्पतालों में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना महामारी के बाद यहां एक और बीमारी के बढ़ते कहर से अब दुनियाभर में लोगों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं चीन में कहर बरपा रही इस रहस्यमयी बीमारी के बारे में वह सबकुछ, जो आपके लिए जानना जरूरी है-
कहां से हुई संक्रमण की शुरुआत?
बीते कुछ दिनों से चीन में श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि देखने को मिल रही है। 13 नवंबर को यहां पहला मामला सामने आने के बाद लगातार कई मामले आने लगे। इस संक्रमण की शुरुआत चीन के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों से हुई, जिसमें 800 किमी दूर बीजिंग और लियाओनिंग दो प्रमुख केंद्र हैं।खासतौर पर इस संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वालों मरीजों में ज्यादातर बच्चे हैं। हालांकि, बच्चों के अलावा बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं भी इसकी चपेट में आ सकती हैं।
क्या यह कोरोना की तरह कोई नई महामारी है?
चीन में फैले इस संक्रमण को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल आ रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि यह कोरोना की तरह एक नई महामारी की शुरुआत हो सकती है। हालांकि, अभी तक इसे लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है। मामले में चीनी अधिकारियों का कहना है कि रेस्पिरेटरी संबंधी इस बीमारी की बढ़ोतरी के पीछे इन्फ्लूएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी), और SARS-CoV-2 जैसे ज्ञात रोगजनक जिम्मेदार हैं।
वहीं, डब्ल्यूएचओ के अनुसार, माइकोप्लाज्मा निमोनिया, एक सामान्य संक्रमण है, जो आम तौर पर छोटे बच्चों को प्रभावित करता है। 18 साल से कम उम्र के ज्यादातर मरीजों को इसके प्रभावित करने की संभावना है।
क्या है माइकोप्लाज्मा?
माइकोप्लाज्मा, एक जीवाणु प्रजाति, जो आमतौर पर बच्चों और युवाओं में हल्की बीमारियों की वजह बनती है। हालांकि, यह फेफड़ों के संक्रमण यानी निमोनिया की वजह भी बन सकता है। माइकोप्लाज्मा निमोनिया से होने ज्यादातर मामलों को हल्के रूप में जाना जाता है, जिसे स्थानीय रूप से ‘वॉकिंग निमोनिया’ नाम दिया गया है।
कैसे फैलता है माइकोप्लाज्मा संक्रमण?
किसी आम संक्रमण की ही तरह माइकोप्लाज्मा संक्रमित व्यक्तियों के खांसने और छींकने के दौरान निकली बूंदों के संपर्क में आने से फैलता है। ऐसा माना जाता है कि इसके फैलने के लिए लंबे समय तक निकट संपर्क होना जरूरी है। परिवारों, स्कूलों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में इसका प्रसार धीरे-धीरे होता है। इस संक्रमण की अवधि आमतौर पर 10 दिनों से कम होती है, लेकिन कई बार यह ज्यादा बढ़ भी सकती है।
माइकोप्लाज्मा संक्रमण के लक्षण क्या हैं?
बात करें इसके लक्षणों की, तो माइकोप्लाज्मा संक्रमण के सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, ब्रोंकाइटिस, गले में खराश, सिरदर्द और थकान आदि शामिल हैं। इसके अलावा निमोनिया भी इसका एक लगातार परिणाम है, जिसकी वजह से कई बार गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी पड़ सकती है। साथ ही इस संक्रमण की वजह से मध्य कान की समस्याएं (ओटिटिस मीडिया) भी हो सकती हैं। इसके लक्षण कुछ दिनों से लेकर एक महीने तक रह सकती है। यह लक्षण आम तौर पर संक्रमित होने के दो से तीन सप्ताह बाद शुरू होते हैं।
माइकोप्लाज्मा संक्रमण का निदान
माइकोप्लाज्मा संक्रमण का निदान करने के लिए आमतौर पर माइकोप्लाज्मा संक्रमण के लक्षणों पर गौर किया जाता है। इसके अलावा छाती के एक्स-रे के आधार पर भी इसकी पहचान की जाती है। वहीं, कुछ मामलों में, ब्लड टेस्ट के आधार पर इसका निदान किया जा सकता है।
माइकोप्लाज्मा संक्रमण से बचने के तरीके
किसी भी अन्य संक्रमण की ही तरह माइकोप्लाज्मा संक्रमण को भी फैलने से रोका जा सकता है, अगर कुछ जरूरी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाए। आप निम्न तरीकों से माइकोप्लाज्मा संक्रमण से अपना बचाव कर सकते हैं-
नियमित रूप से अपने हाथ धोएं
उचित रूप से मास्क का इस्तेमाल करें
संक्रमित व्यक्तियों के निकट संपर्क से बचें
अपने आसपास अच्छा वेंटिलेशन सुनिश्चित करें
बीमार होने या लक्षण नजर आने पर घर पर ही रहें
जरूरत पड़ने परीक्षण और डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
चीन में क्यों बढ़ रहे मामले?
बात करें चीन में बढ़ते माइकोप्लाज्मा के मामलों की तो, ऐसा मानना है कि यहां लंबे समय तक रहे कोविड-19 के प्रभाव की वजह से इसके मामले बढ़ रहे हैं। दरअसल, कोरोना महामारी से लोगों की प्रतिरक्षा सुरक्षा को कमजोर कर दिया, जिसकी वजह से यहां माइकोप्लाज्मा के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
क्या बीमारी से भारत को खतरा है?
नहीं, अभी तक इसे लेकर भारत को खतरा नहीं है। मौजूद समय में यहां इस बीमारी का प्रकोप काफी हद तक नियंत्रित है। चीन के बढ़ते मामलों को देखते हुए खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने जानकारी देते हुए कहा था कि सरकार सक्रिय रूप से स्थिति की निगरानी कर रही है और सभी जरूरी उपाय अपना रही है। वर्तमान में भारत के पास इस तरह के संक्रमण से लड़ने के लिए टीके और दवाएं आसानी से उपलब्ध होने की संभावना है। उदाहरण के लिए, माइकोप्लाज्मा निमोनिया के इलाज लिए हमारे पास एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन मौजूद है।





