जम्मू: सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं लश्कर के पाकिस्तानी दहशतगर्द कारी के मददगार

इन आतंकियों से जुड़े मददगार सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं और उन्हें जल्द बेनकाब कर गिरफ्तार किया जा सकता है।
बाजीमाल में हुई मुठभेड़ में पाकिस्तानी नागरिक लश्कर के खूंखार आतंकी कमांडर कारी और उसके साथी के मारे जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। इन आतंकियों से जुड़े मददगार सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं और उन्हें जल्द बेनकाब कर गिरफ्तार किया जा सकता है।
सेना ने दावा किया है कि लश्कर कमांडर कारी राजोरी के ढांगरी में सात हिंदुओं की हत्या और कंडी केसरी हिल में पांच पैरा कमांडो के बलिदान का भी मास्टरमाइंड था। इसके अलावा राजोरी-पुंछ में कई अन्य आतंकी गतिविधियों में वह शामिल रहा। एक साल से राजोरी-पुंछ में सक्रिय था। इस जानकारी के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं।
सुरक्षा एजेंसियां कारी के ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) और अन्य स्थानीय मददगारों का पता लगाने में जुट गई हैं, जिनकी मदद से आतंकी कमांडर जंगली इलाकों में घूमता रहा और किसी की नजर में नहीं आया। सुरक्षा एजेंसियां उन मददगारों का पता लगा रही हैं जो कारी और उसके साथी को खाना व रसद मुहैया करवाते रहे हैं, या अपने घरों में पनाह देते रहे हैं। क्योंकि बिना स्थानीय मदद के किसी आतंकी का एक साल तक जिंदा रहना संभव नहीं है।
सूत्रों ने बताया है कि राजोरी के बुद्धल, कोटरंका, कालाकोट आदि इलाकों के कई लोग सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं, जिन पर आतंकियों को पनाह देने और व्यवस्थाएं मुहैया कराने का संदेह है। जल्द कई संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा सकती है, ताकि लश्कर कमांडर कारी के मददगारों को और अपने ही देश में रह रहे देश के दुश्मनों को बेनकाब किया का सके।
कालाकोट के ब्रेवी स्थित एक धार्मिक नेता के घर आतंकियों के ठहरने का वीडियो वायरल
बाजीमाल में मारे गए दोनों आतंकियों का एक वीडियो रविवार शाम को वायरल हुआ था, जिसमें दोनों कालाकोट के ब्रेवी स्थित किसी धार्मिक नेता के घर पर दो महिलाओं के साथ बातचीत करते नजर आ रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि दोनों आतंकियों ने उस घर में खाना खाया, वहां आराम किया और बिना किसी डर के वहां से चले गए। सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि लश्कर कमांडर और उसका साथी पहले भी उस घर में आते-जाते रहे होंगे। यदि पहले घरवालों ने सुरक्षाबलों को जानकारी दी होती तो बाजीमाल में सेना के अधिकारी और जवान बलिदान न होते।