कानपुर को प्रदेश का पहला अग्निरोधी शहर बनाने की तैयारी, पढ़े पूरी खबर
सूबे के राहत आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने डीएम विशाख जी. और नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन को आदेश दिए हैं कि वे आग के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों, संभावित खतरों की पहचान करें और शहर की कमजोरियों को समझने के लिए व्यापक अग्नि जोखिम मूल्यांकन योजना विकसित करें।
अनियोजित विकास, अवैध निर्माण, रिहायशी इलाकों में चल रहीं औद्योगिक इकाइयों को देखते हुए कानपुर को प्रदेश का पहला अग्निरोधी शहर बनाया जाएगा। इसके लिए शासन ने आदेश दिए हैं। फिलहाल यह योजना शहर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जा रही है। इसके बाद सूबे के अन्य शहरों में भी इसे लागू किया जा सकता है।
दरअसल, शासन ने माना है कि यहां के निर्माण, अवैध बस्तियां, ट्रैफिक लोड, पुराने व जर्जर भवन, गलियों तक छोटे-छोटे प्लाॅटों में बनीं बहुमंजिली इमारतें, व्यावसायिक क्षेत्रों में मकान और रिहायशी क्षेत्रों में फैक्टरी आदि को देखते हुए कानपुर आग के मामले में अत्यंत संवेदनशील है।
यहां आग बुझाने के पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। बांसमंडी रेडीमेड मार्केट में 30 मार्च को हुए अग्निकांड में अग्निशमन विभाग के संसाधनों की पोल भी खुल गई थी। मुख्यमंत्री तक यह मामला पहुंचा था। इसके मद्देनजर शासन ने कानपुर को अग्निरोधी शहर बनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
व्यापक अग्नि जोखिम मूल्यांकन योजना विकसित करें
सूबे के राहत आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने डीएम विशाख जी. और नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन को आदेश दिए हैं कि वे आग के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों, संभावित खतरों की पहचान करें और शहर की कमजोरियों को समझने के लिए व्यापक अग्नि जोखिम मूल्यांकन योजना विकसित करें।
शहर को अग्निरोधी बनाने के लिए ये काम होंगे
- उद्योगों विशेष तौर पर खतरनाक उद्योगों का निरीक्षण करें। ऐसे क्षेत्रों में सुरक्षा, आपातकालीन प्रोटोकाल बनाएं।
- अग्निकांड के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली लागू करें, ताकि इमरजेंसी पड़ने पर तत्काल लोगों को सूचना दी जा सके।
- समय-समय पर मॉकड्रिल करें। विभागों में आपसी सामंजस्य हो।
- आपदा के बाद पुनर्स्थापना से लेकर पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक सहायता दें।
- बदलती परिस्थितियों और जरूरतों की समय-समय पर समीक्षा कर सुधार करें।
- बुनियादी ढांचा मजबूत करते हुए अग्नि सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित हो।
- जरूरत के हिसाब से दमकल विभाग आधुनिक और संसाधनयुक्त हो।
- आग लगने पर राहत, निकासी मार्ग, आपातकालीन संपर्क नंबर, विभागों के बीच समन्वय हो।
- शहरवासियों में जागरूकता के साथ ही सामुदायिक भागीदारी के प्रयास हों।
- आग की रोकथाम के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों, नवाचार में निवेश करें।
- उपकरणों, प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचे में सुधार सहित पर्याप्त धन, संसाधन सुनिश्चित हो।