आइए जानते हैं, भगवान काल भैरव की पूजा का समय और शनि-राहु की कुदृष्टि से मुक्ति के उपाय…
हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान शिव के रुद्रावतार काल भैरव भगवान की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है। साथ ही व्यक्ति को मानसिक तनाव, अनिद्रा व कई प्रकार के ग्रह दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। आइए जानते हैं, भगवान काल भैरव की पूजा का समय और शनि-राहु की कुदृष्टि से मुक्ति के उपाय।
कालाष्टमी 2023 व्रत तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का शुभारंभ 10 जून दोपहर 02 बजकर 01 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 11 जून को दोपहर 12 बजकर 05 पर हो जाएगा। ऐसे में कालाष्टमी व्रत 10 जून 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा। बता दें की इस विशेष दिन पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत भी रखा जाएगा।
कालाष्टमी 2023 व्रत शुभ योग
पंचांग में बताया गया है कि कालाष्टमी व्रत के दिन दो अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस विशेष दिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। जिसे पूजा पाठ के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। बता दें कि यह दोनों शुभ योग सुबह 05 बजकर 30 मिनट से शाम 07 बजकर 29 मिनट तक रहेंगे।
ग्रह शांति के लिए करें भगवान काल भैरव की पूजा
शास्त्रों में बताया गया है कि शनि और राहु के कारण उत्पन्न हो रही बाधाओं से मुक्ति के लिए काल भैरव भगवान की उपासना विशेष रूप से फालुदाई होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव उत्पन्न हुए थे और उनका स्वरूप बहुत ही भयानक माना जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा भाव से उनकी आराधना करता है, उन्हें मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है।