आज हम आपको बताने जा रहें ब्रेस्ट मिल्क पंप का ज्यादा इस्तेमाल करने के कुछ साइडइफेक्ट्स…
नवजात शिशु 6 महीनें तक अपनी पोषण संबंधी जरूरतों के लिए मां के दूध पर ही निर्भर रहता है। मां का दूध सुपाच्य होने की वजह से बच्चे के पेट में गड़बड़ी होने की आशंका को भी दूर रखता है। लेकिन कई बार मां के वर्किंग होने की वजह से या ट्रेवलिंग के दौरान उसके लिए अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीड करवाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। जिसकी वजह से उन्हें अपने बच्चे को फीड करवाने के लिए ब्रेस्ट पंप का सहारा लेना पड़ता है। आज भले ही ब्रेस्ट मिल्क पंप ने कुछ महिलाओं का जीवन आसान बना दिया हो लेकिन क्या आप जानती हैं ब्रेस्ट मिल्क पंप का ज्यादा इस्तेमाल करने के कुछ साइडइफेक्ट्स भी हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।
ब्रेस्ट मिल्क पंप करने के साइडइफेक्ट-
मां का दूध कम हो जाता है-
ब्रेस्ट मिल्क को लगातार पंप करने से मां का दूध कम होने लगता है। यदि मां का दूध बच्चे को सीधा न पिलाया जाए तो दूध बनना कम हो जाता है।
निप्पल और ब्रेस्ट टिश्यू हो सकते हैं डैमेज-
कई महिलाओं को यह बात जानकर हैरानी हो सकती है कि ब्रेस्ट पंप निपल्स और स्तन के ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इतना ही नहीं ब्रेस्ट को पंप करते समय अगर गलत सेटिंग हो गई हो तो वो दर्द का कारण भी बन सकता है।
समय अधिक लगता है-
हाथ से पंप करने मां के स्तनों और दोनों हाथों में दर्द हो सकता है, क्योंकि मैन्युअली पंप करने से महिलाओं को बहुत अधिक समय लगता है, जो मां को थका देता है।
बच्चा होता है कंफ्यूज-
अगर आप स्तनपान करवाते समय बार-बार बच्चे को बोतल और स्तन के बीच स्विच करवाती रहती हैं, तो ऐसा करने से बच्चा कंफ्यूज हो सकता है। जिसकी वजह से बच्चा मां के निप्पल को ज्यादा जोर से चूस सकता है। इससे मां के निप्पल में दर्द भी हो सकता है।
बच्चे के दांत हो जाते हैं खराब-
बच्चे को लंबे समय तक बोतल से दूध पिलाने से बच्चे के दांत खराब हो सकते हैं। जब बच्चा स्तनपान करता है, तो दूध बच्चे के दांतों तक नहीं पहुंचता है। लेकिन बोतल से दूध पिलाते समय, बच्चा अक्सर बोतल को मुंह में रखकर सो जाता है, जिससे दांतों में सड़न हो सकती है।
फ्रीज करने से पोषक तत्व होते हैं कम
जब बच्चा मां की फीड सीधा लेता है तो उसे हेल्दी ग्रोथ के लिए सभी पोषक तत्व मिलते हैं। लेकिन ज्यादा समय के लिए ब्रेस्ट मिल्क को फ्रीज करने और दोबारा गर्म करने से उसमें मौजूद पोषक तत्वों में कमी हो जाती है।