नई संसद भवन का उद्घाटन क्या महज सरकार का ही आयोजन रह जाएगा? पढ़े पूरी खबर
भारत की नई संसद बनकर तैयार है और पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को इसका उद्घाटन करने वाले हैं। इस बीच उद्घाटन को लेकर भी राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस, वामदलों और आम आदमी पार्टी समेत विपक्षी दलों का कहना है कि उद्घाटन पीएम को नहीं बल्कि राष्ट्रपति को करना चाहिए। यही नहीं विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वह राष्ट्रपति की गरिमा को कमजोर कर रही है। उन्हें सरकार का मुखिया होने के बाद भी उद्घाटन के लिए बुलाया नहीं गया। इस बीच कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, एनसीपी, आरजेडी, जेडीयू समेत 19 विपक्षी दलों ने आयोजन के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है।
पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों संसद के उद्घाटन पर सबसे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि यह उद्घाटन प्रधानमंत्री को नहीं बल्कि राष्ट्रपति को करना चाहिए। उनके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई विपक्षी नेताओं ने मोर्चा खोल दिया था। अब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, आरजेडी और जेडीयू ने कार्यक्रम से दूरी का ऐलान कर दिया है। बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी और तमिलनाडु की डीएमके ने भी कार्यक्रम से दूर रहने का ही फैसला लिया है।
फिलहाल भारत राष्ट्र समिति और अकाली दल की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है। माना जा रहा है कि बहिष्कार का फैसला बीआरएस भी ले सकती है, जबकि अकाली दल आयोजन में रह भी सकती है। अब तक उसकी ओर से कोई फैसला नहीं आया है। वहीं उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा और उसकी सहयोगी आरएलडी ने भी बहिष्कार का ऐलान किया है। बिहार के सत्ताधारी दलों आरजेडी और जेडीयू ने भी कार्यक्रम से दूर रहने की बात कही है। कहा जा रहा है कि मायावती की पार्टी बीएसपी और आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस इस आयोजन में हिस्सा ले सकता हैं। बीजेडी ने भी इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया है।