यहां जनिए तुंगनाथ मंदिर से जुड़े कई फैक्ट्स…

भारत में भगवान शिव को समर्पित कई मंदिर है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में तुंगनाथ एक ऐसा मंदिर है, जो तुंगनाथ के राजसी पहाड़ों के बीच बसा है। ये दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक है। मंदिर 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह पंच केदारों में से एक है और माना जाता है कि यह लगभग 1000 साल पुराना है। इस मंदिर से जुड़े कई इंटरेस्टिंग फैक्ट्स यहां जानिए

तुंगनाथ मंदिर से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स

मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इसे पाण्‍डवों ने भगवान शिव को प्रसन्‍न करने के लिए स्‍थापित किया था। इसके अलावा यह भी मान्‍यता है कि माता पार्वती ने भी भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए यहीं पर तपस्‍या की थी। कहते हैं कि यहां बैल के रूप में भगवान शिव के हाथ दिखाई दिए थे, जिसके बाद पांडवों ने तुंगनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर का नाम ‘तुंग’ है, जिसका मतलब हाथ और ‘नाथ’ भगवान शिव के प्रतीक के रूप में लिया गया है।


कहा ये भी जाता है कि रावण ने भगवान श‍िव को प्रसन्‍न करने के ल‍िए इसी जगह पर तपस्या की थी। इसके अलावा भगवान राम ने रावण के वध के बाद खुद को ब्रह्ममण हत्या के शाप से मुक्त करने के लिए उन्होंने इस जगह पर श‍िवजी की तपस्या की थी। 

कुछ समय के लिए खुलता है मंदिर 

ये मंदिर केवल कुछ महीनों के लिए ही खुलता है। यह आमतौर पर गर्मियों के महीनों के दौरान खुला होता है जब तीर्थयात्री मंदिर जाते हैं। वहीं अक्टूबर के अंत तक मंदिर के दरवाजे बंद हो जाते हैं। 

यहां कैसे पहुंचे

तुंगनाथ में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। हालांकि इसके सबसे पास रेलवे स्टेशन ऋषिकेश में है, जो तुंगनाथ से लगभग 210 किमी दूर है। वहीं आप ऋषिकेश से गोपेश्‍वर होकर चोपता पहुंचे, फिर लोकल साधन लेकर आप मंदिर पहुंच सकते हैं।

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