एआरटी सेंटर की मदद से एचआईवी के साथ टीबी ग्रसित भोला की सुधरी सेहत
नियमित दवा सेवन के साथ खानपान का भी रखा पूराख्याल
लखनऊ : आज भोला (बदला हुआ नाम )को न तो बुखार बना रहता है और न ही खांसी आती रहती है| उसके बलगम में खून भी नहीं आ रहा है| वह अब पहले से काफी बेहतर है और उसका वजन भी बढ़ा है| उसे मुफ्त इलाज के साथ निक्षय पोषण योजना के तहत हरमाहपोषण के लिए 500 रूपये भी मिल रहे हैं, जिसे अपने खाने – पीने पर खर्च कर रहे हैं | नियमित रूप से उनकी और पत्नी की काउंसलिंग भी की जा रही है |यह कहानी है स्थानीय निवासी 42 वर्षीय भोला की| भोला उन लोगों में से हैं जो एचआईवी जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के साथ टीबी से भी ग्रसित हैं| भोला का एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल) सेंटर पर एचआईवी और टीबी का इलाज चल रहा है|भोला को लगभग साढ़े चार माह पहले खांसी आनी शुरू हुई| 15 दिन के बाद उन्हें बुखार भी आने लगा | उन्होंने देखा कि उनके बलगम में खून भी आ है| वह घबरा गए और एआरटी सेंटर पर आकर चिकित्सक को बताये| यहाँ पर चिकित्सकों को टीबी का अंदेशा हुआ और उनका छाती का एक्स-रे और बलगम की जांच कराई गई जिसमें टीबी की पुष्टि हुई | उनका वजन लिया गया जो पहले की अपेक्षा कम हुआ था|
एआरटी सेंटर की सीनियर मेडिकल ऑफिसर डा. नीतू गुप्ता बताती हैं कि एचआईवी मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है| ऐसे में टीबी हो या अन्य संक्रमण आसानी से गिरफ्त में ले सकता है| इसलिए एचआईवी मरीज को नियमित दवा का सेवन और हाई प्रोटीन युक्त पौष्टिक भोजन करने की सलाह दी जाती है| एआरटी सेंटर की मेडिकल ऑफिसर डा. सुमन शुक्ला बताती हैं कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अन्य सभी सुविधाएं उसे स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाती हैं| टीबी और एचआईवी की जाँचें और इलाज एआरटी सेंटर पर निःशुल्क होता है| एआरटी सेंटर के काउन्सलर डा. सौरभ पालीवाल बताते हैं कि जब भोला और उसके परिवार को पता चला कि उन्हें टीबी भी हो गई है तो वह बहुत परेशान हुए| उन्हें समझाया गया कि टीबी और एचआईवी की दवा नियमित लें और पौष्टिक भोजन का सेवन करें, जिससे शीघ्र ही ठीक हो जायेंगे| भोला ने लगातार दवा का सेवन किया जिसका परिणाम है कि वह पहले से बेहतर हैं| टीबी हो या एचआईवी का मरीज, वह प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखें तभी बीमारी से लड़ पाएंगे|