भारतीय कला की समृद्धशाली संस्कृति को संरक्षित करने में जुटी मोदी सरकार
नई सरकार में जीआई उत्पादों के पंजीकरण में तेजी आई है : अर्जुन राम मेघवाल
6 दिवसीय जीआइ महोत्सव का केंद्रीय मंत्री अर्जुराम मेघावल ने किया शुभारंभ
–सुरेश गांधी
वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोद के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उत्तर भारत का पहला छह दिवसीय महोत्सव शुरू हो गया। महोत्सव का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने फीता काटकर किया। इस मौके पर वहां मौजूद शिल्पकारों को संबोधित करते हुए मेघावल ने कहा कि भारतीय कला की समृद्धशाली संस्कृति को संरक्षित करने और आगे बढ़ाने के लिए मोदी सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय कला व संस्कृति का सरंक्षण जरूरी है। कला-संस्कृति को बचाने के लिए प्रयास सरकार सहित हर किसी को करने चाहिए। युवा पीढ़ी को विशेष कर इस ओर ध्यान देना होगा तभी हमारी संस्कृति एवं स्थापत्य कला सुरक्षित रहेगी।
मेघावल ने कहा कि भारत अपनी प्राचीन संस्कृति और कला की थाती के लिए प्रसिद्ध है। विश्वभर में भारतीय कला, नृत्य, दस्तकारी, शिल्प और परिधान के प्रशंसकों की कमी नहीं है, लेकिन इसके लिए लोगों को खुद जागरुक हते हुए दुसरों को भी जगरुक करना होगा। उन्होंने कहा कि नई सरकार के कार्यकाल में जीआई उत्पादों के पंजीकरण में तेजी आई है। जीआई उत्पाद एवं क्राफ्ट भारत की आत्मा है। जीआई आने से पूर्व में ही हमारा देश अपने अलग-अलग क्षेत्रीय उत्पादों के लिए विश्व विख्यात रहा है, ज्यादा से ज्यादा भौगोलिक उत्पादों को पंजीकृत कर उन्हें संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि एवं स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने कहा कि बनारसियों के डीएनए में हुनर है। न सिल्क यहां होता है और न ही पान लेकिन बनारसियों के हस्त कौशल के कारण बनारस की साड़ी एवं बनारस का पान दोनों ही विश्व विख्यात है। कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि यह आयोजन युवाओं को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सी जानकारियां देगा। हथकरघा, पॉलिटेक्निक, आईआईटी, हैण्डीक्राफ्ट, कृषि अन्य सम्बन्धित विभागों के विद्यार्थियों को इस महोत्सव में एक्सपोजर विजिट कराया जायेगा। इसके अलावा विभिन्न उत्पादों के कारीगरों को भी इस महोत्सव में लाया जायेगा। उन्होंने वाराणसी तथा आस-पास के जिले के लोगों से अपील किया है कि वे सभी ज्यादा से ज्यादा से संख्या में इस महोत्सव को देखने को आये एवं जिले, प्रदेश एवं देश में बनने वाले विशिष्ट उत्पादों के बारे जाने एवं लाभ उठायें।
उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय उपसचिव सचिन धानिया व पद्मश्री रजनीकांत ने बताया कि 370 जीआई उत्पादों का पंजीकरण किया जा चुका है। बनारस की ठंडई को जीआई के एक हजारवें उत्पाद के रूप में पंजीकरण किया जा रहा है। संयुक्त आयुक्त उद्योग उमेश कुमार सिंह ने बताया कि यह महोत्सव उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के निर्देश पर किया जा रहा है। इसमें उत्तर भारत के 11 प्रदेशों के जीआइ उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गयी हैं। यह जीआइ का पहला मेला है, जिसमें 100 अलग- अलग स्टाल लगाए गए है। महोत्सव का समापन 21 अक्टूबर को होगा। उन्होंने बताया कि वाराणसी और आसपास पूर्वांचल के जिले मीरजापुर, भदोही, आजमगढ़, चंदौली, गाजीपुर आदि में भी कई जीआइ उत्पाद ऐसे शामिल हैं जो पूरे विश्व भर में पूर्वांचल की पहचान के तौर पर जाने जाते हैं।
आयोजन के दौरान कई प्रमुख स्टाल जीआइ उत्पादों के दूसरे प्रदेशों के भी लगाए गए हैं जिन पर कोई भी उपभोक्ता जाकर अपनी जरूरत के अनुरूप उत्पादों की खरीद भी कर सकता है। जीआइ उत्पादों की प्रदर्शनी अगले छह दिनों तक रौनक रहेगी और दीपावली के पूर्व जीआइ उत्पादों के कारोबारी खुद को आर्थिक रूप से समृद्ध कर सकते हैं। इन सभी स्टालों पर उत्पादों की जानकारी के साथ ही उत्पादों की विशेषता भी लोगों को बताई जा रही है। इससे जीआइ उत्पादों का प्रचार प्रसार भी संभव हो सका है। इस मौके पर स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री रवींद्र जायसवाल, जीआइ विशेषज्ञ पद्मश्री रजनीकांत उपाध्याय, मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, संयुक्त आयुक्त उद्योग ’उमेश कुमार सिंह सहित कई गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।