झिलमिलाती झांकियों ने बढ़ाई गोपालापुर की शान
प्रतापगढ़ चौकी को मिला प्रथम, भदोही के जंगीगंज लाग को मिला द्वितीय पुरस्कार
बेहतर सुरक्षा इंतजाम के मामले में पुरस्कृत किए गए एसओ दिव्य प्रकाश सिंह
–सुरेश गांधी
वाराणसी : जौनपुर के गोपालापुर बाजार की गौरवशाली परम्परा का प्रतीक एवं एतिहासिक भरत मिलाप एवं विजयादशमी श्रद्धा, आस्था, उत्साह, उमंग और व्यापक जनभागीदारी के साथ सम्पन्न हुआ। दो साल के अंतराल के बाद लोगों ने इस उत्सव के प्रति अपनी सक्रिय सहभागिता निभाते हुए इस परम्परा को अपार उत्साह और उमंग के साथ आगे बढ़ाया। भरत मिलाप के दिन रात भर जोश और उल्लास के साथ चल रहे समारोह में नयनाभिराम झांकियों, चौकियां और विमान लागों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने हजारों लोगों का मन मोह लिया। समारोह के अंत में गठित टीम के अगुवा पूर्व प्रधान एवं समिति संरक्षक उमाकांत बरनवाल, डा ज्ञानप्रकाश सिंह एवं जय मां दुर्गा पूजा समिति, गोपालापुर के अध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश के सतना से आएं उद्योगपति दिलीप जायसवाल द्वारा सर्वसम्मति से श्रेष्ठ चौकी, झांकी तथा लॉग विमानों का पुरस्कार के लिए चयन किया गया। अंत में भरत मिलाप में निकली आकर्षक चौकियों व लॉग विमानों को पुरस्कृत किया गया। प्रथम पुरस्कार प्रतापगढ़ चौकी को मिला। जबकि द्वितीय पुरस्कार भदोही के जंगीगंज के लॉग विमान को मिला।
इस दौरान दशहरा, भरत मिलाप व रात में निकली झांकियों के बीच उमड़े श्रद्धालुओं को सकुशल नियंत्रित करने के मामले में थानाध्यक्ष रामपुर दिव्यप्रकाश सिंह को पुरस्कृत किया गया। इसके पहले मेला को सकुशल संपंन कराने के लिए उपजिलाधिकारी अर्चना ओझा एवं पुलिस उपाधीक्षक अशोक सिंह द्वारा भ्रमण किया गया। उमाकांत बरनवाल ने बताया कि भरत मिलाप मेले के दिन रात में चौकी व लाग का मनोहारी प्रदर्शन हुआ। रामायण एवं देशभक्ति पर आधारित झांकियों को देखने के लिए पूरी रात भीड़ जमी रही। अच्छा प्रदर्शन करने वाले लाग-विमान व चौकी को प्रोत्साहन पुरस्कार के रुप में सिल्ड व पंखा आदि भी दिया गया। भारी भीड़ को देखते हुए मेले में व्यापक सुरक्षा प्रबंध किया गया था, जिसके लिए एसओं रामपुर को भी पुरस्कृत किया गया। उन्होंने बताया कि मेले के दिन राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न चारों भाइयों की आरती उतारी गयी, इसके बाद पंरपंरागत तरीके से चारों भाईयों का मिलन कराया गया। इस अवसर पर जयप्रकाश जायसवाल गब्बर, अशोक, दिनेश, प्रदीप, रितेश, पंकज, अवधेश, मनीश आदि का योगदान सराहनीय रहा।