उत्तराखंड: भारत-चीन सीमा पर ग्लेशियर से हिमखंड के सड़क पर गिरने से यातायात ठप

भारत-चीन सीमा से सटे दारमा घाटी के कई गांवों का शेष जगत से सड़क संपर्क कट गया है। भारी बर्फबारी के बाद ग्लेशियर से हिमखंड के सड़क पर आ जाने से यातायात ठप है, जिससे स्थानीय गांवों के लोगों के साथ ही सुरक्षा एंजेंसियों की भी दिक्कतें बढ़ गई हैं। इस बार सीमांत में पिछले तीन दशकों में सर्वाधिक हिमपात हुआ है।

उच्च हिमालयी गांवों को जोड़ने वाली प्रमुख धारचूला-दारमा सड़क पर बुगलिंग और उर्थिंग के बीच घंगमनाती में 800 फीट से अधिक लंबा हिमखंड ग्लेशियर से टूटकर आया है। इससे क्षेत्र के कई गांवों व सीमा पर पहरा दे रहे सुरक्षा एंजेंसियों का देश के अन्य हिस्सों से सड़क संपर्क कट गया है। 45 किमी लंबी इस सड़क में कई जगह पहले से ही बर्फ जमा है। ऐसे में दुग्तू, बालिंग व नागलिंग के लोगों को सर्वाधिक दिक्कतें हो रही हैं।

तीन हजार से अधिक लोग करते हैं माइग्रेशन
गर्मी का मौसम शुरू होते ही तीन हजार से अधिक लोग दारमा के उच्च हिमालयी गांवों में माइग्रेशन के लिए जाते हैं। इस समय अग्रिम दल माइग्रेशन काल शुरू होने से पहले वहां जाकर भोजन, ईधन व अन्य प्रबंध करते हैं। रास्ते बंद होने से लोग उच्च हिमालयी गांवों में नहीं जा पा रहे हैं।

सुरक्षा एंजेसियों के साथ 300 लोगों की दिक्कतें बढ़ी
दारमा को जोड़ने वाली प्रमुख सड़क पर ग्लेशियर से हिमखंड आने के बाद बंद हो जाने से माइग्रेशन गांवों के साथ ही चीन सीमा पर तैनात 300 से अधिक सुरक्षा कर्मियों को मुसीबत झेलनी पड़ रही है।

सड़क नहीं खोली तो आमरण अनशन करेंगे लोग
दारमा सड़क के बंद रहने से नाराज ग्रामीणों ने प्रशासन को आमरण अनशन की धमकी दी है। दारमा होम स्टे एसोसिएशन ने कहा है कि समय पर सड़क नहीं खोली गई तो वे ग्रामीणों के साथ आमरण अनशन करेंगे।

शीतकालीन माइग्रेशन के लिए आते समय भी बंद थी सड़क
भारत चीन सीमा के अवैतनिक प्रहरी कहे जाने वाले ग्रामीणों ने शीतकालीन प्रवास के समय भी दारमा सड़क के बंद रहने से मुसीबतों के बीच घाटी के गांवों की तरफ वापसी की थी। 90दिन से अधिक समय तक सड़क बंद रहने से ग्रामीणों को बारिश में उफनाते नालों व भूस्खलन के खतरों के बीच जुलाई से अक्तबूर तक आवागमन करना पड़ा था।

यह सड़क महत्वपूर्ण है। माइग्रेशन काल शुरू होने जा रहा है। ग्लेशियर के आने से दिक्कतें गंभीर हो गई हैं। इसे शीघ्र खोला जाए। अभी कुछ ग्रामीणों के साथ वहां तैनात सैनिकों को भी रास्ते व सड़क बंद होने से दिक्कतें हो रही हैं।

सभी बंद रास्तों को तत्परता से खोला जाएगा। 6 माह में बर्फबारी से मार्ग बंद रहता है। अब ग्रीष्म कालीन माइग्रेशन के लिए बंद रास्तों को खोलने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासन सीमांत के लोगों के हितों को लेकर गंभीर है।

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