लैंगिक व प्रजनन स्वास्थ्य पर खुलकर बात करें, बीमारियों से बचें : डॉ. जैसवार

लैंगिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य जागरूकता दिवस (12 फरवरी) पर विशेष

लखनऊ : हमारे समाज में लैंगिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना आज भी अच्छा नहीं माना जाता है| लैंगिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के अभाव के कारण किशोर/किशोरी यौनिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य, अनचाहे गर्भ, यौन जनित बीमारियों एवं यौन व्यवहार के प्रति ज्यादा जागरूक नहीं बन पाते हैं| इन्हीं मुद्दों पर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 12 फरवरी को लैंगिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य जागरूकता दिवस मनाया जाता है| इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किशोरियों को माहवारी के दौरान देखभाल, साफ -सफाई के साथ ही लैंगिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा देना, माहवारी के दौरान सेनिटरी नैपकिन आसानी से उपलब्ध कराना है| इसके अलावा हर महिला को प्रसव पूर्व जाँच और सुरक्षित प्रसव के साथ सुरक्षित गर्भपात की सुविधा मिले| सभी लोगों खासकर युवाओं को सुरक्षित यौन संबंध और यौन संचारित रोगों के बारे में जागरूक किया जाए | तंबाकू एवं शराब के सेवन के दुरुपयोग के बारे में भी युवाओं को जानकारी दी जाए क्योंकि कभी –कभी यह आदतें असामान्य यौन व्यवहार का कारण बनती हैं| इसके साथ ही लोगों को लैंगिक भेदभाव के प्रति जागरूक किया जाए|

महिलाओं और लड़कियों को जानकारी देना मात्र काफी नहीं होगा इसी के साथ उनके लिए अनुकूल वातावरण भी बनाना होगा जिससे सेवाओं का उचित समय पर उपयोग सुनिश्चित किया जा सके| अनुकूल वातावरण बनाने के लिये हमें किशोरों और पुरुषों को संवेदित करना बहुत जरूरी है| क्वीन मेरी अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डा. एस. पी. जैसवार कहती हैं- किशोरावस्था में ही प्रजनन स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन के बारे में किशोरियों के साथ किशोरों को भी जागरूक करना बहुत जरूरी है क्योंकि भविष्य में विवाह के बाद वह परिवार नियोजन के साधनों के चुनाव में सही निर्णय ले सकेंगे और परिवार नियोजन में पुरुष व महिला की समान सहभागिता होगी | विवाह के तुरंत बाद गर्भ धारण करने के बजाय कम से दो साल बाद गर्भ धारण करना चाहिए, ताकि वह विवाह के तुरंत बाद अपने वैवाहिक जीवन का आनंद ले सकें| स्वास्थ्य केंद्रों पर परिवार नियोजन के विभन्न साधन उपलब्ध हैं| प्रशिक्षित महिला रोग विशेषज्ञ की सलाह पर परिवार नियोजित करने एवं अनचाहे गर्भ से सुरक्षित रहने के लिए वह इनका चुनाव कर सकते हैं| डा. जैसवार बताती हैं- पहली गर्भावस्था अनचाही होने की स्थिति में असुरक्षित गर्भपात करवाने से महिला जीवन भर बांझपन की समस्या से ग्रसित हो सकती है, जिसके कारण सामाजिक रूप से भी उस महिला को जीवन भर समस्या का सामना करना पड़ता है| इसके साथ ही दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर अवश्य रखें ताकि माँ और बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहें|

Back to top button