ऐशबाग रेलवे स्टेशन पर क्षय रोग के प्रति चला जागरूकता अभियान

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत मनाया जा रहा आइकॉनिक वीक ऑफ हेल्थ

लखनऊ : राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में तीन जनवरी से नौ जनवरी तक जिला क्षय रोग अधिकारी के निर्देशन में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत “आइकॉनिक वीक ऑफ़ हेल्थ” के तहत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में शनिवार को ऐशबाग रेलवे स्टेशन पर कैंटोनमेंट बोर्ड, रानी लक्ष्मीबाई जिला स्तरीय अस्पताल और राजेंद्र नगर जिला क्षय (टीबी) रोग इकाई के संयुक्त तत्वावधान में क्षय रोग पर संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसके तहत ट्रेन की बोगियों एवं प्लेटफार्म पर लगभग 1000 लोगों को क्षय रोग से बचाव एवं इसके इलाज के बारे में जानकारी दी गई । इसके साथ ही रेलवे स्टेशन पर माइकिंग भी की गई। इस मौके पर जिला पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वयक सौमित्र कुमार मिश्रा, सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर राजीव कुमार, विपिन कुमार तथा टीबी हेल्थ विजिटर रामप्रताप एवं जयप्रकाश द्वारा व्यापक प्रचार प्रसार किया गया।

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. ए.के. चौधरी ने बताया- जिले में एक जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक क्षय रोग के 20485 मरीज खोजे गए हैं| वर्ष 2020 से 15% मरीज अधिक चिन्हित किए गए हैं। मरीजों को सही पोषण के लिए इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत प्रतिमाह 500 रुपए की धनराशि सीधे उनके खाते में भेजी जा रही है। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया – आइकॉनिक वीक ऑफ हेल्थ कार्यक्रम का उद्देश्य क्षय उन्मूलन के प्रति जनसहभागिता को बढ़ाना है। इसी क्रम में विभिन्न स्कूलों, बस्तियों, स्टेशन सहित 75 स्थानों पर क्षय रोग के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। साथ ही निजी चिकित्सकों से भी अनुरोध किया गया कि वह टीबी मरीजों की सूचना उपलब्ध कराएं।

सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर अभय चंद्र मित्रा ने बताया – टीबी का नियमित इलाज करना बहुत जरूरी होता है। यदि बीच में इलाज छोड़ दिया जाता है तो मुश्किल होती है। इलाज पुनः शुरू करना पड़ता है डॉट सेंटर व डॉट प्रोवाइडर के माध्यम से दवा मरीज के घर तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है तथा मरीज दवा का सेवन कर रहा है या नहीं इसका फॉलो अप भी किया जाता है। पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वयक रामजी वर्मा ने बताया- टीबी यानि क्षय रोग जिसका मतलब होता है शरीर का क्षय होना| टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है| यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है| जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो टीबी के जीवाणु हवा में फ़ैल जाते हैं| संक्रमित हवा में सांस लेने से स्वस्थ व्यक्ति या बच्चे भी टीबी से संक्रमित हो सकते हैं| इसलिए टीबी ग्रसित व्यक्ति खांसते और छींकते समय मुंह को हमेशा ढके रहे| यह छूने या जूठा खाने या क्षय रोग पीड़ित व्यक्ति के सामान का उपयोग से नहीं फैलती है| हो सके तो मरीज मुंह पर मास्क लगाये रहे|

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