जाने क्यों नहीं खाना चाहिए एकादशी के दिन चावल

हर साल आने वाली सफल एकादशी इस साल 30 दिसंबर को है। ऐसे में इस दिन विष्णु जी का पूजन किया जाता है। कहा जाता है विष्णु जी के पूजन से सारे कष्ट कट जाते हैं। वहीं इस दिन कई तरह के कार्य हैं जो प्रतिबंधित है। इसी लिस्ट में चावल खाना भी शामिल है। कहा जाता है एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। हालाँकि ऐसा क्यों इसके पीछे का कारण भी हम आपको बताने जा रहे हैं।


पौराणिक कथा – पुराणों में लिखा है कि एकादशी के दिन चावल खाने से अखाद्य पदार्थ अर्थात नहीं खाने योग्य पदार्थ खाने का फल मिलता है। जी दरअसल एक पौराणिक कथा के अनुसार ‘माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया। चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है। जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने जैसा है।’

वैज्ञानिक कारण- कहा जाता है चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। ऐसे में चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। ऐसे में मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। आप सभी को बता दें कि एकादशी व्रत में मन का निग्रह और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है। इस वजह से एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित माना जाता है।

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