तो इसलिए मनाया जाता है दिवाली का पर्व, प्रचलित हैं ये प्रमुख कथाएं
हर साल दिवाली का पर्व धूम-धाम से मनाया जाता है। इस साल यह पर्व आज यानी 4 नवंबर को मनाया जा रहा है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों मनाया जाता है दिवाली का पर्व। जी दरअसल इसके पीछे कुछ कथाएं है और वह हम आपको बताने जा रहे हैं।
भगवान राम अयोध्या लौटे थे- कहा जाता है जब भगवान राम रावण को हराकर और चौदह वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे तो नगरवासियों ने पूरे अयोध्या को रोशनी से सजा दिया और इसी के बाद से दिवाली का पर्व मानना शुरू कर दिया गया।
हिरण्यकश्यप का वध- एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रूप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। उस समय दैत्यराज की मृत्यु पर प्रजा ने घी के दीये जलाकर दिवाली मनाई थी।
कृष्ण ने नरकासुर का वध किया- कहते हैं कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध दीपावली के एक दिन पहले चतुर्दशी को किया था। इसी के चलते अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं।
शक्ति ने धारण किया महाकाली का रूप – कहा जाता है राक्षसों का वध करने के बाद भी जब महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए। उस समय भगवान शिव के शरीर स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया। उसके बाद उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की है थी।