छत्तीसगढ़ मातृभाषा को प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए शासन ने जवाब पेश करने HC से मांगी मोहलत
छत्तीसगढ़ मातृभाषा को प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए दायर जनहित याचिका पर गुस्र्वार को चीफ जस्टिस एके गोस्वामी व जस्टिस गौतम भादुड़ी के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। प्रकरण की सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने जवाब पेश करने के लिए समय की मांग की। डिवीजन बेंच ने चार सप्ताह की मोहलत दी है। अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद की तिथि तय कर दी है।
छत्तीसगढ़ी महिला क्रांति सेना की प्रदेश अध्यक्ष लता राठौर ने वकील यशवंत सिंह ठाकुर के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित दायर की है। याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी मातृभाषा को पढ़ाई का माध्यम बनाने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने प्रदेश के स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तक के पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा को माध्यम बनाए जाने की मांग की है। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि जिस तरह अन्य राज्यो में वहां की मातृ भाषा को माध्यम बनाकर अध्ययन अध्यापन कराया जाता है उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी छत्तीसगढ़ी भाषा को माध्यम बनाया जाए।
याचिका के अनुसार एनसीईआरटी ने तीन भाषा हिन्दी,अंगे्रजी और मातृ भषा में ही पढ़ाई की मंजूरी दी है। याचिकाकर्ता ने एनसीईआरटी द्वारा वर्ष 2005 जारी आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर बधाों के अध्ययन अध्यापन के लिए मातृभाषा ही सबसे सशक्त और प्रभावी माध्यम होता है। पढ़ाई में यह महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन भी करता है।
जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि वर्ष 2009 में केंद्र सरकार द्वारा जारी बालक-बालिका शिक्षा के अधिकार कानून की धारा 29 में साफ उल्लेख किया गया है कि राज्य शासन द्वारा प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक पढ़ने वाले बच्चों को मातृभाषा में ही पढ़ाई कराएंगे। केंद्र सरकार के गाइड लाइन का छत्तीसगढ़ सरकार पालन नहीं कर रही है। अचरज की बात ये कि इस दिशा में गंभीर नजर नहीं आ रही है।