कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित वरिष्‍ठ कांग्रेस नेताओं के बीच हुई खींचतान, यूपी और पंजाब में उलझे हाईकमान ने आंखें फेरी

हरियाणा कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश प्रधान कुमारी सैलजा सहित अन्‍य दिग्‍गज नेताओं में खींचतान तेज हो गई है। हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल का रुख भी इस बीच हुड्डा की ओर होने के संकेत मिल रहे हैं। इन सबके बीच कांग्रेस हाईकमान ने उत्‍तर प्रदेश और पंजाब के घटनाक्रमों में व्‍यस्‍त होने के कारण हरियाणा से आंखें फेर ली हैं।

इस साल के अंत तक कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा खड़ा हो पानाा मुश्किल हुआ

नेताओं की खींचतान के कारण हरियाणा में कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा खड़ा करना हााईकमान के लिए खासा मुश्किल हो रहा है। इस बार भले ही ऐलनाबाद उपचुनाव की वजह से संगठन में नई नियुक्तियां टाली जा रही हैं, लेकिन पंजाब चुनाव से पहले प्रदेश पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की घोषणा संभव नहीं है। उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनाव में व्यस्त होने के कारण हरियाणा के राजनीतिक मसलों पर फिलहाल कांग्रेस हाईकमान का खास ध्यान नहीं है। तब तक कांग्रेस दिग्गजों के बीच संगठन में अपना रुतबा बढ़ाने को लेकर यूं ही खींचतान मची रहने की संभावना है।

हरियाणा में पिछले काफी समय से दावा किया जा रहा है कि प्रदेश पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की घोषणा किसी भी समय हो सकती है। हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते फूलचंद मुलाना जब प्रदेश अध्यक्ष थे, तब से कांग्रेस संगठन में नियुक्तियां लटकी पड़ी हैं। मुलाना के बाद अशोक तंवर ने हरियाणा कंग्रेस की बागडोर संभाली, लेकिन वह भी प्रदेश पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की घोषणा नहीं करा पाए।

कांग्रेस छोड़ने के बाद तंवर ने तो यहां तक कहा कि पार्टी प्रभारियों ने कभी नहीं चाहा कि संगठन बनकर खड़ा हो सके। वह लगातार कांग्रेस हाईकमान को धोखे में रखते रहे। तंवर के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को हरियाणा कांग्रेस की बागडोर सौंपी गई। सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बने दो साल पूरे गए हैं, लेकिन चाहकर भी वह अभी तक संगठन खड़ा नहीं कर पाई हैं।

ऐसा भी नहीं है कि कोई प्रदेश अध्यक्ष संगठन तैयार नहीं करना चाहता। उसमें अपने-अपने समर्थकों की हिस्सेदारी को लेकर खींचतान हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, कुलदीप बिश्‍नोई, कुमारी सैलजा, किरण चौधरी और कैप्टन अजय सिंह यादव के बीच प्रदेश पदाधिकारियों तथा जिलाध्यक्ष के नामों पर सहमति नहीं बन पाने की वजह से हाईकमान कोई फैसला नहीं ले पा रहा है।

विवेक बंसल ने अलीगढ़ से चुनाव लड़ने की संभावना के चलते हुड्डा से नजदीकियां बढ़ाई

हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल के भी इसमें हाथ बंधे हुए हैं। हुड्डा के सांसद पुत्र दीपेंद्र सिंह को हाल ही में उत्तर प्रदेश की कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य बनाया गया है। दीपेंद्र लगातार कई दिनों से प्रियंका गांधी के साथ उत्तर प्रदेश के दौरे पर रहे हैं। विवेक बंसल स्वयं चूंकि अलीगढ़ से चुनाव लड़ना चाहते हैं, लिहाजा उन्होंने बड़े हुड्डा के साथ गलबहियां बढ़ा दी हैं। ऐसे भी मौके आए, जब विवेक बंसल और हुड्डा हवाई यात्राओं में एक साथ आए-गए।

विवेक बंसल के कांग्रेस हाईकमान में मजबूत तार हैं, लेकिन दीपेंद्र चूंकि स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य हैं तो अलीगढ़ से टिकट हासिल करने के लिए उनका समर्थन भी जरूरी है। ऐसे में विवेक बंसल ऐसा कोई भी कदम उठाने से बिल्कुल बच रहे हैं, जो हुड्डा की सहमति या खुशी के विपरीत हो। ऐसे में यह भी संभव है कि प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का मामला अगले साल तक लटक जाए। अगर विवेक बंसल उत्तर प्रदेश के चुनाव में जुट गए या फिर खुद लड़े तो इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि हरियाणा में किसी दूसरे कांग्रेस नेता को पार्टी का प्रभार सौंप दिया जाए।

सैलजा ने ऐलनाबाद उपचुनाव पर किया फोकस

इस असमंजस के बीच हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा का पूरा फोकस ऐलनाबाद उपचुनाव पर है, जिसमें भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए पवन बैनीवाल ताल ठोंक रहे हैं और कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव लड़ चुके भरत बैनीवाल टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे हैं। पवन बैनीवाल भाजपा के टिकट पर दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। पवन बैनीवाल और भरत बैनीवाल दोनों रिश्तेदार हैं। भरत को हुड्डा समर्थक और पवन को सैलजा समर्थक के रूप में पेश किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button