यूपी में शेरों को नहीं मिल रहा मांस, मुर्गा खाकर चला रहे हैं काम!

विपक्ष के सांसदों ने आरोप लगाया है कि यूपी में शेरों को मांस नहीं मिल रहा और उन्हें मुर्गा खाकर जिंदा रहना पड़ रहा है. राज्यसभा में यह आरोप लगाने वाले सांसदों का कहना था कि अवैध कत्लखानों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार लाखों लोगों की रोजी रोटी छीन रही है.यूपी में शेरों को नहीं मिल रहा मांस, मुर्गा खाकर चला रहे हैं काम!

 राज्य सभा में शून्य काल के दौरान ही मामला उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद नदीमुल हक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हालत यह हो गई है कि अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर मांस बेचने और इसे तैयार करने वाले लोगों के आगे रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

नदीमुल हक ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार जिस तरह से ताबड़तोड़ बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है उससे रोजी-रोटी कमाने के लोगों के मूलभूत अधिकार पर ही सवालिया निशान लग गया है. हक ने कहा कि कौन आदमी क्या काम करता है और क्या खाता-पीता है, यह तय करना राज्य सरकार का अधिकार नहीं है. उनका कहना था कि अगर राज्य सरकार को बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई करनी ही थी, तो इसका एक रोड मैप बनना चाहिए था ताकि इस काम में लगे लोग दूसरा रोजगार खोज सकें.

नदीम उल हक ने कहा कि इंसानों की बात तो छोड़िए उत्तर प्रदेश के चिड़ियाघरों में शेर और बाघों को भी मुर्गे खा कर जिंदा रहना पड़ रहा है. वह बोल ही रहे थे कि पीछे से आवाज आई कि मुर्गे क्या वहां तो शेरों को गाजर खाना पड़ रहा है. सांसदों के ठहाके के बीच में नदीम उल हक ने एक शेर भी पढ़ा – ‘तेरी बंदिश का भी जवाब नहीं, पराठे खाओ कबाब नहीं’. विपक्ष के तमाम सांसदों ने उनका समर्थन किया.

सरकार की तरफ से जवाब देते हुए मुख्तार अब्बास नकवी ने दो टूक कहा कि सिर्फ उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है जो गैरकानूनी तरीके से चल रहे थे. उन्होंने कहा कि गैरकानूनी कत्लखानों को छोड़ा नहीं जाएगा और कानूनी तौर पर चल रहे बूचड़खानों को छुआ नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि अवैध रूप से जगह-जगह चल रहे बूचड़खाने न सिर्फ कानून का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरा बने हुए थे.

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