भारत बंद: देश भर के व्यापारियोंं ने की हड़ताल, जानें- क्या हैं दुकानदारों मांग

देश के करीब 8 करोड़ छोटे दुकानदारों के संगठन कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और ट्रांसपोर्टर्स के संगठन ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) ने आज भारत बंद और चक्का जाम का आह्वान किया है. आइए जानते हैं कि उनकी प्रमुख मांगें क्या हैं? 

देश के खुदरा दुकानदार एमेजॉन जैसे रिटेल चेन के बढ़ते प्रभाव और कथित मनमानी से काफी नाराज हैं. इसके अलावा वे वस्तु एवं सेवा कर (GST) में बदलाव की भी मांग कर रहे हैं. दूसरी तरफ ट्रांसपोर्टर्स पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और ई-वे बिल में आने वाली समस्या को लेकर नाराज हैं. 

चक्का जाम भी होगा  

इसीलिए कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयरएसोसिएशन (AITWA) ने 26 फरवरी शुक्रवार यानी आज भारत बंद का आह्वान किया है. इसके अलावा राज्यों के कई व्यापारी संगठनों ने भी इन मांगों का समर्थन किया है. AITWA ने आज चक्का जाम करने का निर्णय लिया है. आज ट्रांसपोर्टर्स अपने वाहन खड़े कर देंगे. इससे माल की ढुलाई और लोगों कीआवाजाही काफी प्रभावित हो सकती है.

ये हैं ट्रांसपोर्टर्स  की मांगें  

दूसरी तरफ ट्रांसपोर्टर्स जीएसटी के तहत आने वाले ई-वे बिल नियमों का विरोध कर रहे हैं. साथ ही वे डीजल-पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों की भी मुखालफत कर रहे हैं.

असल में जब किसी माल की ढुलाई की जाती है तो जीएसटी के ई-वे बिल पोर्टल पर उसका एक इलेक्ट्रॉनिक बिल तैयार किया जाता है. जीएसटी में रजिस्टर्ड कोई भी व्यापारी या व्यक्ति किसी वाहन में निर्धारित सीमा से ज्यादा माल बिना ई-वे बिल के नहीं ले जा सकता.

हर 200 किमी की दूरी के लिए इस बिल की वैधता केवल एक दिन होती है. सेंट्रल जीएसटी एक्ट की धारा 129 के मुताबिक ई-वे बिल न होने पर वाहन जब्त कर लिए जाते हैं. व्यापारियों का कहना है कि उनके पास सही इनवाइस होने पर भी अगर ई-वे बिल में कोई एरर है तो माल के मूल्य के 100 फीसदी या लगने वाले टैक्स के 200 फीसदी तक का जुर्माना लगा दिया जाता है.

इसी तरह किसी के पास ई-वे बिल न होने पर भी ऐसा ही जुर्माना लगाया जाता है. ट्रांसपोर्टर्स इस पूरी व्यवस्था को नाकाम बताते हुए इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं. 

इसी तरह ट्रांसपोर्टर्स ईंधन और खासकर डीजल के बढ़ते दामों से काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि ईंधन पर टैक्स घटाकर इनके बढ़ते दामों पर अंकुश लगाया जाए और देशभर में इनकी एक समान कीमत हो. 

ये हैं व्यापारियोंं की मांगें   

CAIT की मांग है कि जीएसटी नियमों में संशोधन कर टैक्स स्लैब को और सरल बनाया जाए. कैट ने जीएसटी के कई प्रावधानों को ‘मनमाना’ और कठोर’ बताते हुए उन्हें खत्म करने की मांग की है. इसके अलावा कैट एमेजॉन जैसे ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा कथ‍ित रूप से नियमों के उल्लंघन और मनमानी का भी विरोध कर रहा है और इन पर कार्रवाई करने की मांग कर रहा है. 

कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के मुताबिक, पिछले साल 22 दिसंबर और उसके बाद GST नियमों में कई संशोधन किए गए. इनमें अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए गए हैं. अब कोई भी अधिकारी कोई भी कारण लेकर किसी भी व्यापारी का GST रजिस्ट्रेशन नंबर सस्पेंड या कैंसिल कर सकता है. इसके अलावा बैंक खाता और संपत्ति भी जब्त कर सकता है. खास बात यह है कि ऐसा करने से पहले व्यापारी को कोई नोटिस नहीं दिया जाएगा. यह व्यापारियों के मौलिक अधिकारों का हनन है. 

कैट का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से महीनों तक व्यापारी काफी परेशान रहे इसके बाद सरकार ने संकट और बढ़ाते हुए जीएसटी के कई ऐसे नोटिफिकेशन जारी कर दिए जिससे व्यापारियों की दिक्कतें और बढ़ गईं. 

कैट का कहना है कि बजट में भी कई ऐसे नए प्रावधान किए गए हैं जिससे कारोबार में जटिलता और बढ़ेगी. कहा गया है कि यदि कोई सप्लायर GSTR-1 में इनवाइस या डेबिट नोट का ब्योरा नहीं देता तो उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं दिया जाएगा. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button