पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू, प्रधानों की सक्रियता बढ़ी

लखनऊ। यूपी में पंचायत चुनाव अभी घोषित नहीं हुए हैं। मगर अप्रैल, मई में चुनाव होने के आसार हैं। इसी को देखते हुए सियासी दलों की गांव तक सक्रियता बढ़ गई है। बसपा को छोड़कर भाजपा, सपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी चुनावी रण में उतरने के लिए बेचैन दिखाई पड़ रही है। यही वजह है कि गांव में किसी न किसी बहाने से पार्टी नेताओं ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। हालांकि यह काम पिछले कई महीनों से चल रहा है। वोटर बनाने के लिए भी राजनैतिक दल पूरी तौर पर सक्रिय रहे। जिले की 594 ग्राम पंचायतों, 30 जिला पंचायत वार्डो और 700 क्षेत्र पंचायत सदस्य पद के लिए चुनाव होना है।

सबसे अधिक यदि देखी जाए तो गहमा गहमी प्रधान और जिला पंचायत सदस्य पद के लिए है। दोनों ही पदों के पीछे कहीं न कहीं आर्थिक लाभ छिपा है। यही वजह है कि इन दोनों पदों के लिए सियासी दलों ने भी प्रतिष्ठा अभी से लगाना शुरू कर दिया है। सत्तारुढ दल की ओर से तो इस बार ऐन केन प्रकारेण जिला पंचायत के अध्यक्ष पद की कुर्सी पर कब्जा करने की रणनीति है। इसके लिए ही पूरी जमीन तैयार की जा रही है।

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जिले के जो 30 जिला पंचायत के वार्ड हैं इन सभी में ऐसे चेहरों को देखा जा रहा है जो कि जिताऊ के साथ ही टिकाऊ हों और मौका पड़ने पर पाला बदलने की स्थिति में न हों तो वहीं समाजवादी पार्टी भी पीछे नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में माहौल को भांपकर ही प्रत्याशियों को उतारे जाने की तैयारी चल रही है। इसमें पुराने चेहरों के अलावा नए चेहरों को भी देखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह के यहां आने के बाद पार्टी के कार्यकर्ता पंचायत चुनाव को लेकर कुछ ज्यादा ही फिक्रमंद हो गए है।

पार्टी कीओर से पहले ही एलान किया गया है कि चुनाव में कार्यकर्ता किस्मत आजमाएंगे और जीतेंगे भी। कांग्रेस पहले से ही न्याय पंचायत स्तर पर बैठकें कर रही है। बूथों पर सक्रियता बढ़ाने के पीछे कहीं न कहीं पंचायत चुनाव का भी कारण जुड़ा है। वोटर बनवाने को लेकर जिस तरीके से खासतौर पर सत्तारुढ़ दलने सक्रियता दिखाई उससे यही अंदाजा लग रहा है कि यह चुनाव पार्टी ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया है। सहकारिता की भंाति इस चुनाव में विरोधियों का पत्ता साफ करने की तैयारी की जा रही है। चुनाव को लेकर न्याय पंचायत, ब्लाक स्तर पर लगातार बैठकें भी चल रही हैं।

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