प्रकृति का अनुपम वरदान शीत ऋतु
शीत ऋतु कई लोगों के लिए क्रूर है तो कई लोगों के लिये यह सुख व स्वास्थ्य को बढ़ाने वाली है। इसमें कोई शक नहीं कि इस ऋतु में खांसी, जुकाम, सिरदर्द, बुखार, खुश्क चेहरा या पैरों में बिवाई पडऩा एक आम बात है पर फिर भी यह ऋतु इतनी क्रूर नहीं जितना लोग समझते हैं।
वास्तव में यह ऋतु स्वास्थ्य व सौंदर्य और बल प्राप्त करने की सर्वोत्तम ऋतु है। यदि थोड़ा-सा समय निकाला जाए तो इस ऋतु का शानदार तरीके से उपयोग किया जा सकता है।
प्रकृति के स्वास्थ्य का रहस्य यदि समझना चाहते हैं तो आप प्रात: 500 बजे उठकर शौच आदि से निवृत्त होकर, सैर करने को निकल जाएं। दौड़ लगाना बहुत ही अच्छा होता है, नहीं तो आप टहलते समय लंबे सांस लें व बाजुओं को खूब हिलाएं। घास में जो ओस पड़ी होती है, उस पर कुछ समय नंगे पैर चलें। ऐसा करने से रक्तचाप ठीक रहता है और आंखों की रोशनी बढ़ती है।
कुछ देर तक निकलते सूर्य की ओर खड़े होकर सूर्य को देखें। आपको एक नये प्रकार के आनन्द की अनुभूति होगी। सैर से वापस आकर शरीर पर कुछ समय तक तेल की मालिश करें। यदि प्रतिदिन मालिश न कर सकें तो सप्ताह में एक बार अवश्य करें। इससे शरीर में ठीक प्रकार से रक्त संचार होगा और शरीर की खुश्की भी दूर होगी। कुछ समय विश्राम करने के पश्चात यदि हो सके तो ठंडे पानी से अच्छी तरह स्नान करें। इससे रक्त संचार ठीक रहेगा और स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।
प्राय: बहुत से चिकित्सक शीत ऋतु में प्रात: काल सूर्य धूप स्नान करने को कहते हैं क्योंकि इस ऋतु में प्रात:काल सूर्य किरणों में अल्ट्रा वायलट किरणें होती हैं जिससे शरीर को विटामिन ए व डी पर्याप्त मात्र में मिलता है। इन विटामिनों से हड्डियां मजबूत होती हैं। नेत्रों की ज्योति भी ठीक रहती है परन्तु याद रहे जब शरीर को धूप चुभने लगे तो धूप में मत बैठिये क्योंकि इससे लाभ के बजाए हानि होने का डर है।
इस ऋतु में आम तौर पर पैरों में बिवाई हो जाती हैं। इसका सरल उपाय यह है कि पैरों को अच्छी तरह धोकर उसमें मोम पिघला कर भर दें। बिवाई ठीक हो जाएगी।
शीत ऋतु में प्राय: चेहरे व हाथों की त्वचा खुरदरी हो जाती है। ग्लिसरीन एक तोला में आधा नींबू का रस मिलाकर, एक शीशी में भर लें। रात्रि को गर्म पानी से अच्छी तरह हाथ मुंह धोकर इस रस को अच्छी तरह मलें। इससे त्वचा चिकनी व कोमल बनी रहेगी।
शीत ऋतु में ठंड की बीमारी अधिक होती है। इसका प्रभाव अधिकतर स्त्रियों व बच्चों में होता है क्योंकि छोटे बच्चों के कारण उन्हें बार-बार उठना पड़ता है जिससे शरीर गर्म सर्द हो जाता है। इस कारण फ्लू हो जाता है। इसका सरल उपाय है कि जब आप उठें तो चादर अवश्य ओढ़कर उठें पैरों में जुराबें पहने रहें या चप्पल पहनकर बाहर जायें। खांसी जुकाम से बचने का सरल उपाय यह है कि आप गर्म भोजन के साथ ठंडा पानी न पीएं।
शीत ऋतु में हमारा भोजन उत्तम होना चाहिए क्योंकि इस ऋतु में पाचन क्रिया उत्तम होती है। इस कारण जो भी हम खायेंगे, पच जाएगा। इस ऋतु में हर प्रकार की सब्जी व फल मिल जाते हैं। हरी सब्जियां, गाजर, चुकन्दर, पनीर आदि में पर्याप्त मात्र में विटामिन ‘ए’ होता है।
संतरा, मौसमी, गन्ना, सेब, नींबू में पर्याप्त मात्र में विटामिन ‘सी’ व अनेक खनिज पदार्थ होते हैं जो हमारी त्वचा को रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं। अत: यदि थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो शीत ऋतु मनुष्य के लिये वरदान सिद्ध हो सकती है।