विश्व विकलांगता दिवस (03 दिसम्बर)
विश्व विकलांगता दिवस कब मनाया जाता है? प्रतिवर्ष 03 दिसम्बर को ‘विश्व विकलांगता दिवस’ या ‘अंतराष्ट्रीय विकलांग दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को देश की मुख्य धारा में लाने के लिए मनाया जाता है।
-सोने लाल वर्मा
विश्व विकलांगता दिवस कब मनाया जाता है? प्रतिवर्ष 03 दिसम्बर को ‘विश्व विकलांगता दिवस’ या ‘अंतराष्ट्रीय विकलांग दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को देश की मुख्य धारा में लाने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष 2016 विश्व विकलांगता दिवस का विषय- ‘जो भविष्य हम चाहते हैं, उसके लिए 17 लक्ष्यों को प्राप्त करना’ हैं। इस वर्ष के विषय का लक्ष्य विकलांग व्यक्तियों के लिए 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीएस) को अपनाना तथा इन लक्ष्यों की भूमिका से विश्व को अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाना हैं।
विश्व विकलांगता दिवस का इतिहास
सयुंक्त राष्ट्र संघ ने 03 दिसंबर 1991 से प्रतिवर्ष अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस को मनाने की स्वीकृति प्रदान की थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1981 को अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस के रूप में घोषित किया था। सयुंक्त राष्ट्र महासभा ने सयुंक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर वर्ष 1983-92 को अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस दशक घोषित किया था।
भारत में विकलांगों से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के आधीन होता है। संगम योजना का संबंध भारत में विकलांगों से संबंधित है।
विश्व विकलांगता दिवस का उद्देश्य
इस दिवस का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों को सहयोग देने के लिए जनसामान्य को प्रोत्साहित करना है। इसका प्रयोजन उनके आसपास के वातावरण को सक्षम बनाना है।
विश्व विकलांग दिवस के थीम
विकलांग व्यक्तियों के लिये समाज में नियम और नियामकों को ठीक ढंग से लागू करने के लिये विकलांग व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय दिवस के उत्सव को एक असरदार थीम की ज़रुरत है। नीचे विकलांग व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय दिवस के उत्सव के लिये वार्षिक आधार पर निम्न थीम दिये गये हैं।
- वर्ष 1998 का थीम था “कला, संस्कृति और स्वतंत्र रहन-सहन”।
- वर्ष 1999 का थीम था “नयी शताब्दी के लिये सभी की पहुंच”।
- वर्ष 2000 का थीम था “सभी के लिये सूचना क्रांति कार्य निर्माण”।
- वर्ष 2001 का थीम था “पूर्ण सहभागिता और समानता: प्रगति आँकना और प्रतिफल निकालने के लिये नये पहुंच मार्ग के लिये आह्वान”।
- वर्ष 2002 का थीम था “स्वतंत्र रहन-सहन और दीर्घकालिक आजीविका”।
- वर्ष 2003 का थीम था “हमारी खुद की एक आवाज”।
- वर्ष 2004 का थीम था “हमारे बारे में कुछ नहीं, बिना हमारे”।
- वर्ष 2005 का थीम था “विकलांगजनों का अधिकार: विकास में क्रिया”।
- वर्ष 2006 का थीम था “ई- एक्सेसिबिलीटी”।
- वर्ष 2007 का थीम था “विकलांगजनों के लिये सम्माननीय कार्य”।
- वर्ष 2008 का थीम था “विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर सम्मेलन: हम सभी के लिये गरिमा और न्याय”।
- वर्ष 2009 का थीम था “एमडीजी का संयुक्त निर्माण: पूरी दुनिया में विकलांग व्यक्तियों और उनके समुदायों का सशक्तिकरण”।
- वर्ष 2010 का थीम था “वादे को बनाये रखना: 2015 और उसके बाद की ओर शताब्दी विकास लक्ष्य में मुख्यधारा विकालांगता”।
- वर्ष 2011 का थीम था “सभी के लिये एक बेहतर विश्व के लिये एक साथ: विकास में विकलांग व्यक्तियों को शामिल करते हुए”।
- वर्ष 2012 का थीम था “सभी के लिये एक समावेशी और सुगम्य समाज उत्पन्न करने के लिये बाधाओं को हटाना”।
- वर्ष 2013 का थीम था “बाधाओं को तोड़ें, दरवाज़ों को खोलें: सभी के लिये एक समावेशी समाज और विकास”।
- वर्ष 2014 का थीम था “सतत् विकास: तकनीक का वायदा”।
- वर्ष 2015 का थीम था “समावेश मायने रखता है: सभी क्षमता के लोगों के लिये पहुंच और सशक्तिकरण”।
- वर्ष 2016 का थीम था “जो भविष्य हम चाहते हैं, उसके लिए 17 लक्ष्यों को प्राप्त करना’ हैं”।
- वर्ष 2017 का थीम था “सभी के लिए टिकाऊ और लचीला समाज की ओर परिवर्तन”।
- वर्ष 2018 का थीम था “विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना और समावेश और समानता सुनिश्चित करना”।
विकलांगता किसे कहते है?
विकलांगता को शारीरिक या मानसिक स्थितियों जैसे कि ख़राब हरकतों, संवेदनाओं या व्यक्ति की गतिविधियों के माध्यम से सरल शब्दों में परिभाषित किया जाता है। यह केवल स्वास्थ्य समस्या नहीं है। विकलांगता शब्द में केवल शारीरिक या मानसिक विकलांगता शामिल नहीं है, बल्कि इसमें डाउन सिंड्रोम, मल्टीपल स्केलेरोसिस, सेरेब्रल पाल्सी, जैसे रोग भी शामिल हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार सारे विश्व में लगभग एक लाख लोग विकलांगता के किसी न किसी प्रकार से पीड़ित हैं। अकेले भारत में 14.9 करोड़ पुरुष और 11.8 करोड़ महिलाओं सहित लगभग 26, 810, 557 लोग (भारत की जनसँख्या का 2.21%) विकलांगता से पीड़ित हैं। इन विकलांग लोगों में से 70 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। भारत की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार विकलांग लोगों के बीच श्रवण, दृष्टि या गतिशीलता संबंधित विकलांगता सामान्यत: पायी जाती है।
विकलांगता के प्रकार:
दृष्टि दोष: नज़र/दृष्टि दोष में आंशिक अंधापन या पूर्ण अंधापन।
श्रवण दोष: ठीक प्रकार से सुनाई नहीं देना या कम सुनाई देना।
वाक् दोष: बोलने में कठिनाई।
गतिशीलता दोष: चलने-फिरने में कठिनाई।
मानसिक मंदता: मानसिक अक्षमता एवं मानसिक बीमारी।
विद्या विकलांगता: सीखने में कठिनाई। उदाहरण के लिए: डिस्लेक्सिया (पढ़ने, शब्दों या पत्रों की व्याख्या करने में कठिनाई)।
डिसग्राफिया: डिसग्राफिया (लगातार लिखने में असमर्थता) और डिस्केलक्यूलिया (अंकगणितीय गणना करने में असमर्थता)।
बहु विकलांगता: यह विकलांगता शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है।