जन्नत का एहसास करवाती हैं ये खुबसूरत जगह
भारत देश को अपनी सुंदरता और विविधता के लिए जाना जाता हैं जहां का हर क्षेत्र अपनी अलग विशेषता को दर्शाता हैं। देश के कई हिस्से ऐसे हैं जो अपने अनोखेपन के चलते पर्यटन का केंद्र बनते हैं। आज इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं
जंस्कार घाटी की जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है और यहां घूमना जन्नत का एहसास करवाती हैं। इस घाटी को ‘जहर या जंगस्कर’ जैसे स्थानीय नामों से भी जाना जाता है। बर्फ से ढके पहाड़ों और स्वच्छ नदियों से सजी जंस्कार घाटी सभी का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं। समुद्र तल से लगभग 13,154 की ऊंचाई पर बसी जंस्कार घाटी ‘द टेथिस’ हिमालय का एक हिस्सा है। यह घाटी लगभग पांच हजार वर्ग किलोमीटर में फैली है।
जंस्कार घाटी का इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार ‘ग्रेट लामा सोंगत्सेन गम्पो’ ने सातवीं शताब्दी में लद्दाख में बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी, जिसका प्रभाव जंस्कार घाटी पर भी पड़ा। उस समय यह जगह बौद्ध धर्म का भक्ति स्थल बन गया था और जंस्कार से सटा कश्मीर का हिस्सा इस्लाम धर्म के अनुयायियों का स्थल बन गया था।
चादर ट्रक
चादर ट्रक को लेह- लद्दाख का सबसे खतरनाक ट्रक माना जाता है। यह ट्रक जंस्कार घाटी का सबसे प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। आपको बता दें कि सर्दियों के दिनों में जंस्कार नदी बर्फ की सफेद चादर सी दिखने लगती है, जिस वजह से इसे चादर ट्रक कहा जाता है।
जंगली जानवरों की विभिन्न- विभिन्न प्रजातियां
जंस्कार घाटी में जंगली जानवारों की विभिन्न- विभिन्न प्रजातियां जैसे- भालू, स्नो लेपर्ड, और मर्मोट पाए जाते हैं। इस घाटी में कई तरहों के पालतू जानवर भी देखने को मिलते हैं, जैसे- डोजो, याक, भेड़ और घोड़े।
कब जाना चाहिए जंस्कार घाटी
जंस्कार घाटी में जून से सितंबर के मध्य में जाना चाहिए। इस समय में यहां का मौसम बेहद ही सुहाना रहता है। जंस्कार घाटी में सर्दियों के समय नहीं जाना चाहिए क्योंकि सर्दियों में यहां का तापमान काफी कम हो जाता है और बर्फबारी की वजह से सड़कें भी अवरुद्ध हो जाती हैं।