महिलाओं में बढ़ती ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या, फ्रैक्चर होने का लगा रहता है डर

नई दिल्ली। हम सभी जानते हैं के एक मानव शरीर में 206 हड्डियाँ होती हैं। इसके साथ ही हमारे शरीर में एक उम्र के बाद हड्डियों का निर्माण होना बंद हो जाता है। इसी की वजह से कई लोग वृद्धावस्था में हड्डी के दर्द, आर्थ्राइटिस (गठिया) और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बिमारियों से जूंझते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस महिलाओं में बड़ी ही आम बीमारी है जो 40 की उम्र के बाद कई महिलाओं में पाई जाती है। खासकर 45 की उम्र में जब महिलाओं में मेनोपौस का समय आता है तब इसका खतरा और बढ़ जाता है। महिलाओं में पुरुष के मुकाबले इसका खतरा इसलिए ज्यादा होता है क्युंकी उनमें हड्डियों का मास बनना जल्दी बंद हो जाता है। यही वजह है कि कई महिलाओं को जोड़ों और घुटनों में दर्द झेलना पड़ता है।

महिलाओं का 30 की उम्र के बाद हड्डियों का निर्माण होना बंद हो जाता है, हालांकि पुराने बोन सेल्स प्रतिस्थापित होते रहेंगें। लेकिन इससे आपके बोन मास में कोई परिवर्तन नही होता है। इसका सबसे मुख्य कारण है कि कई महिलाएं 18 से 30 साल तक की उम्र में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन नहीं करती, अतः यह बात गौर करने की है कि महिलाओं को बचपन से ही इस बात का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है कि वह अपने आहार में कैल्शियम और विटामिन डी युक्त खाना शामिल करें।

ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त महिलाएं कमज़ोर हड्डियाँ होने के कारण, उन्हें कई बार् फ्रैक्चर होने का डर भी रहता है ।यही वजह है कि इस चीज़ का हमें ख़ास ध्यान रखना होता है। कैल्शियम की कमी के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस की एक और वजह महिलाओं के शरीर में विकसित होने वाला एस्ट्रोजन हॉर्मोन भी हैं महिलाओं में प्रजनन चक्र के अलावा, एस्ट्रोजन हॉर्मोन दोनों महिलाओं और पुरुषों के शरीर में हड्डियों को मज़बूत रखने के लिए भी लाभदायक रहता हैं। इसी कारण महिलाओं में मेनोपौस के बाद, इस बीमारी का खतरा अपने आप बढ़ जाता है।

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