राज्यसभा चुनाव के लिए भाजपा में दावेदारों को लेकर मनन-मंथन तेज, प्रवक्ता संबित पात्रा का नाम चर्चा में
लखनऊ। यूपी में राज्यसभा की 10 सीटों के चुनाव को लेकर भाजपा में मनन-मंथन तेज हो गया है। तमाम दावेदार दौड़भाग में जुटे हैं। अंतिम फैसला दिल्ली से होना है, लेकिन भाजपा की कोशिश 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी सरोकारों व समीकरणों में फिट बैठने वाले चेहरों को ही राज्यसभा भेजने की है। अभी तक के निर्णयों को देखते हुए इनमें एक-दो नाम चौंकाने वाले और दूसरे राज्यों के लोगों के भी हो सकते हैं लेकिन इस बार यूपी वाले दावेदारी से एकदम बाहर नहीं हैं।
इन 10 सीटों में वर्तमान में यूपी से राज्यसभा सदस्य अरुण सिंह, नीरज शेखर और केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की वापसी लगभग तय मानी जा रही है। इन लोगों को पार्टी हाईकमान की तरफ से नामांकन की तैयारी का संकेत दे दिया गया है।
इसके अलावा चर्चा है कि बीते कई चुनाव से दूसरे राज्यों के लोगों को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा भेजकर समायोजित करती आ रही भाजपा इस बार भी एक-दो ऐसे चेहरों को राज्यसभा ले जाकर उनके गृह राज्यों के सियासी समीकरणों को साधने की कोशिश कर सकती है। इस सिलसिले में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा का नाम काफी चर्चा में है।
इन नामों पर कयास
पिछले दिनों उमा भारती की तरफ से लगातार ये संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास नहीं लिया है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि उमा की इच्छा पार्टी की केंद्रीय राजनीति में पूर्ववत सक्रिय होने की है। वह ढांचा ध्वंस मामले में बरी भी हो चुकी हैं।
विनय कटियार भी ढांचा ध्वंस के आरोपों से मुक्त हो चुके हैं। पिछड़े और हिंदुत्ववादी चेहरे कटियार के नाम के भी कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले दिनों ब्राह्मणों की उपेक्षा और उत्पीड़न के बहाने विपक्ष की तरफ से भाजपा की घेराबंदी के दौरान पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का नाम राज्यपाल से लेकर राज्यसभा तक चला था। पर, पार्टी ने दूसरे दल से भाजपा में आए जयप्रकाश निषाद को राज्यसभा भेजने का फैसला कर सभी को चौंका दिया था।
इसी तरह दिल्ली केंद्रित राजनीति करने वाले जफर इस्लाम को भी यूपी से राज्यसभा भेजने का भाजपा का निर्णय सभी को चौंका गया था। पर, बताया जा रहा है कि इस बार किसी न किसी ब्राह्मण चेहरे को मौका दिए जाने की संभावना ज्यादा है।
इन समीकरणों पर भी नजर
उत्तर प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी, केंद्र द्वारा सालाना दी जा रही 6000 रुपये सम्मान निधि सहित अन्य कुछ फैसलों के बावजूद किसान बिल के बाद से राजनीतिक माहौल गरमाया है।
सूत्रों के मुताबिक, इस माहौल से पार पाने के लिए पार्टी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसी बड़े चेहरे पर भी दांव लगाया जा सकता है। हाथरस सहित प्रदेश के अन्य कुछ स्थानों के घटनाक्रम को देखते हुए पार्टी के अंदरखाने एक सीट अनुसूचित जाति के किसी बड़े चेहरे को देने की चर्चा है।
इस सिलसिले में एक पूर्व नौकरशाह का नाम मजबूत माना जा रहा है। पार्टी के एक पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी और एक पूर्व प्रदेश पदाधिकारी भी दावेदारों में शामिल बताए जा रहे हैं।