NASA ने खोजा अंतरिक्ष में सोने का ग्रह, अब हर कोई होगा करोड़पति
नई दिल्ली। दुनिया भर के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में कुछ न कुछ नया ढूंढने के लिए लगातार संघर्षरत हैं। आपको बता दें कि अंतरिक्ष की दुनिया बहुत से रहस्यों को अपने अंदर छुपाए हुए है। स्पेस की दुनिया बहुत से रहस्यों से भरी पड़ी है। अंतरिक्ष इतना बड़ा है कि अभी तक इसकी खोज करने के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक लगातार कोशिशें कर रहे हैं और नए-नए मिशन को लेकर वहां पहुंचते हैं। अभी हाल ही में NASA के वैज्ञानिकों को मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच एक ऐसा क्षुद्रग्रह का पता चला है, जहां बहुत ही कीमती खजाना और हीरे, जवाहरात मिलने की संभावना जताई गई है। आपको बता दें कि इस जगह पर इतनी ज्यादा मात्रा में हीरे जवाहरात और कीमती रत्न मौजूद हैं कि अगर इसे धरती पर ले आया जाए तो शायद दुनिया का हर व्यक्ति करोड़पति तो बन ही जाएगा।
नासा ने इस क्षुद्रग्रह का नाम 16-साइकी बताया है, आपको बता दें कि ये एस्टेरॉयड आलू के आकार में दिखाई देता है, और ये सोने सहित कई बहुमूल्य धातुओं जैसे प्लेटिनम, आयरन और निकल से बना हुआ है। नासा के मुताबिक इस क्षुद्रग्रह का व्यास लगभग सवा दो सौ किलोमीटर है। इस ग्रह पर सोने और लोहे की मात्रा बहुतायत है। अंतरिक्ष विशेषज्ञों के मुताबिक 16-साइकी पर लगभग 8000 क्वॉड्रिलियन पाउंड कीमत के बराबर लोहा मौजूद है।
जबकि मीडिया में आईं खबरों की मानें तो हम इसे धरती पर ले आने और बेचने या इसके इस्तेमाल में कामयाब हो सके तो धरती पर मौजूद हर व्यक्ति को लगभग 9621 करोड़ रुपये मिल सकेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी बताया गया है कि, ये कीमत 16-साइकी (16 Psyche) पर मौजूद केवल लोहे की है।अभी तक यहां मौजूद सोने और प्लेटिनम के कीमत के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
इस ग्रह की खोज के बाद वैज्ञानिक और खनन विशेषज्ञ स्कॉट मूर ने बताया कि यहां यहां पर इतना सोना हो सकता है कि अगर ये धरती पर आ जाए तो दुनियाभर की सोने की इंडस्ट्री के लिए खतरा बन जाएगा। धरती पर अचानक से इतनी अधिक मात्रा में आए सोने की वजह से सोने की कीमत गिर जाएगी और ये कौड़ियों के भाव आ जाएगा। आपको बता दें अब नासा स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क की मदद से इस एस्टेरॉयड के बारे में और पता लगाने की कोशिश कर रहा है। स्पेस एक्स अपने अंतरिक्षयान से रोबोटिक मिशन इस एस्टेरॉयड पर भेजे सकता है। हालांकि इसे वहां जाने और स्टडी करके वापस आने में सात साल का समय लग जाएगा।