उत्तराखंड में फिर इतिहास रचेगी 18 मार्च की तारीख

उत्तराखंड में 18 मार्च को नई सरकार अस्तित्व में आ जाएगी। संयोग यह है कि पिछले साल 18 मार्च को प्रदेश की सरकार पर संकट आ गया था। अब ठीक एक साल बाद इसी तारीख को राज्य में सरकार गठन के रूप में नई इबारत लिखी जाएगी।उत्तराखंड में फिर इतिहास रचेगी 18 मार्च की तारीख
 
पिछले साल 18 मार्च को राज्य में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में बगावत हो गई थी। कांग्रेस के 36 में से नौ विधायक बागी हो गए। विधानसभा में विनिमय विधेयक पर मतदान के दौरान कांग्रेस के ये बागी विधायक भाजपा के पाले में खड़े दिखाई दिए। इसी दिन कांग्रेस के बागी विधायकों और भाजपा के 27 विधायकों ने राज्यपाल डॉ. केके पाल से मुलाकात की और हरीश रावत सरकार को भंग करने की मांग की।

राज्यपाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को 28 मार्च तक विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा। इस बीच शक्ति परीक्षण से ठीक एक दिन पहले 27 मार्च को केंद्र ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। दूसरी तरफ, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया।

तब करीब दो महीने तक भाजपा, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में प्रदेश में सियासी उठापठक में जुटी रही। इस बीच नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन हटा और हरीश रावत सरकार बहाल हुई।

हाईकोर्ट के निर्देश पर हुए फ्लोर टेस्ट में भी भाजपा की रणनीति कामयाब नहीं हो पाई और हरीश इसमें पास हो गए। उस वक्त यह माना जा रहा था कि इस बगावत का कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में सियासी फायदा होगा। चुनाव प्रचार में भी कांग्रेस ने बागियों के मुद्दे को खूब प्रचारित कर जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश की।

अब चुनाव नतीजों के बाद इसे लेकर भी तस्वीर साफ हो चुकी है। भाजपा द्वारा शपथ ग्रहण की तारीख तय करने के साथ ही 18 मार्च को नई सरकार भी आकार ले लेगी। बागियों में से ज्यादातर विधायकी जीत कर आए हैं। एक साल बाद घटित संयोग में अंतर यह है कि तब सरकार कांग्रेस की थी और अब भाजपा सत्ता में होगी।

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