वर्षों बाद नवरात्रि में बन रहा है यह दुर्लभ संयोग, जानिए पूजा तिथि और शुभ महूर्त,
नवरात्रि सदा ही शुभ माने जाते हैं परंतु कई बार कई वर्षों बाद कुछ दुर्लभ शुभ संयोग भी जुड़ जाएं तो वह पर्व औेर भी शुभ बन जाता है।
सामान्यतया नवरात्रि सदा ही शुभ माने जाते हैं परंतु कई बार कई वर्षों बाद कुछ दुर्लभ शुभ संयोग भी जुड़ जाएं तो वह पर्व औेर भी शुभ बन जाता है। कुछ ऐसा ही हो रहा है 17 अक्तूबर से 25 तक चलने वाले नवरात्रि में। लगभग 19 वर्ष पूर्व, 2001 में शारदीय नवरात्र, मलमास के कारण विलंबित थे परंतु 2020 में चतुर्मास लीप वर्ष के कारण 5 मास का हो गया। अब 25 नवंबर को चतुर्मास का भी समापन हो जाएगा।
अधिक मास के कारण विवाह, सगाई, भवन निर्माण, व्यवसाय आरंभ आदि बहुत से आवश्यक एवं शुभ कार्य रुक गए थे परंतु 17 तारीख से यह सब संभव हो जाएगा। नवरात्रि में बिना मुहूर्त देखे भी कई कार्य किए जा सकते हैं परंतु नवरात्रि के दौरान और अच्छे शुभ संयोगों का तोहफा भी मिलेगा। इन नवरात्रों से महामाई की कृपा से महामारी के आंकड़े भी कम होने लगेंगे।
घट स्थापना (क्लश स्थापना)-
17 अक्तूबर को घट स्थापना (क्लश स्थापना) होगा का शुभ समय- क्लश स्थापना सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर 10 बजकर 13 तक की जा सकती है और उसके बाद अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 11: 45 से लेकर 12:30 तक भी कर सकते हैं।
अष्टमी कब है?
पंचांग के अनुसार, 23 अक्तूबर, शुक्रवार की प्रातः सप्तमी 6 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी और अष्टमी आरंभ हो जाएगी जो 24 तारीख को सुबह 6:59 तक रहेगी। जहां सूर्योदय 6.35 के बाद है, वहां श्री दुर्गाष्टमी 23 तारीख को मनाई जाएगी। इस नियम के अनुसार दिल्ली , हरियाणा आदि में अष्टमी 24 को मनाई जाएगी। अब यह आस्था और सुविधानुसार आप दोनों में से किसी दिन भी मना सकते हैं।
कन्या पूजन-
कुछ लोग सप्तमी का व्रत रखते हैं। आप कन्या पूजन अष्टमी और नवमी पर कर सकते हैं। नवरात्रों के दौरान इन शुभ संयोगों पर कोई कार्य आरंभ करें तो अधिक शुभ फलदायी होंगे। 18 और 24 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग हैं, 17 ,21 और 25 को अमृत योग, 18 को प्रीति, 19 को आयुष्मान, 20 को सौभाग्य योग भी बन रहे हैं। इसके अलावा नवमी और विजय दशमी भी एक ही दिन 25 अक्टूबर रविवार को रहेंगे। वास्तव में 25 को नवमी तिथि प्रातः 7 बजकर 41 मिनट तक है और उसके बाद दशमी आरंभ हो जाने से दशहरा 25 को ही मनाया जाएगा।
किस दिन की जाएगी किस देवी की पूजा-
17 अक्टूबर, प्रतिपदा- नवरात्रि का पहला दिन- घट/ कलश स्थापना – शैलपुत्री।
18 अक्टूबर, द्वितीया- नवरात्रि 2 दिन तृतीय- ब्रह्मचारिणी पूजा।
19 अक्टूबर, तृतीया- नवरात्रि का तीसरा दिन- चंद्रघंटा पूजा।
20 अक्टूबर, चतुर्थी- नवरात्रि का चौथा दिन- कुष्मांडा पूजा।
21 अक्टूबर, पंचमी- नवरात्रि का 5वां दिन- सरस्वती पूजा, स्कंदमाता पूजा।
22 अक्टूबर, षष्ठी- नवरात्रि का छठा दिन- कात्यायनी पूजा।
23 अक्टूबर, सप्तमी- नवरात्रि का सातवां दिन- कालरात्रि, सरस्वती पूजा।
24 अक्टूबर, अष्टमी- नवरात्रि का आठवां दिन- महागौरी, दुर्गा अष्टमी ,नवमी पूजन।
25 अक्टूबर, नवमी- नवरात्रि का नौवां दिन- नवमी हवन, नवरात्र पारण, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी, नवमी-दशमी एक दिन।
25 अक्टूबर- महानवमी व विजयादशमी (दशहरा) हैं। दशमी 25 अक्टूबर रविवार को है। इस दिन सुबह 7.41 बजे तक नवमी तिथि है। बाद में दशमी शुरू होगी जो दूसरे दिन प्रातः नौ बजे तक ही रहेगी। इसलिए दुर्गा नवमी व दशहरा पर्व 25 अक्टूबर को मनाए जाएंगे।