नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है: PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत ’21 वीं सदी में स्कूली शिक्षा’ सम्मेलन को संबोधित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा, शिक्षा मंत्रालय दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है, जो गुरुवार से शिक्षा पर्व के एक रूप में शुरू हुआ है।

– कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में देश भर के टीचर्स से माय गोव पर उनके सुझाव मांगे थे। एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं। ये सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद करेंगे।
– मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के इस अभियान में हमारे प्रिंसिपल्स और शिक्षक पूरे उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं।
– अब तो काम की असली शुरुआत हुई है। अब हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उतने ही प्रभावी तरीके से लागू करना है और ये काम हम सब मिलकर करेंगे।
– नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। इसके पीछे पिछले चार-पांच वर्षों की कड़ी मेहनत है, हर क्षेत्र, हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर दिन रात काम किया है। लेकिन ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है।
– पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया। हर व्यवस्था बदल गई। इन तीन दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पक्ष हो जो पहले जैसा हो। लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, हमारी शिक्षा व्यवस्था, वो अब भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी।

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सात अगस्त को एनईपी-2020 के तहत ‘उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार पर’ कॉन्क्लेव में उद्घाटन भाषण दिया था और सात सितंबर को पॉलिसी पर ‘गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस’ को संबोधित किया था। शिक्षकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति को आगे बढ़ाने के लिए 8 से 25 सितंबर को शिक्षा पर्व मनाया जा रहा है।

पीएमओ ने कहा कि विभिन्न वेबिनार, एनईपी के कई पहलुओं पर वर्चुअल कॉन्फ्रेंस और कॉन्क्लेव आयोजित किए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि एनईपी-2020 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जिसे 1968 के बाद यानी 34 साल बाद घोषित किया गया। एनईपी-2020 को स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों स्तरों पर प्रमुख सुधारों के लिए निर्देशित किया गया है।

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