मेट्रो कागजों में तीन साल पहले से रोके ग्रेड सेपरेटर, एफओबी निर्माण

शहर में मेट्रो ट्रेन की सुविधा जनता को कब मिलेगी यह तो तय नहीं हो पाया, लेकिन जिस रूट से होकर मेट्रो का ट्रैक प्रस्तावित हैं, वहां के विकास कार्य पिछले तीन साल से अटके हुए हैं। नगर निगम, बीडीए और पीडब्ल्यूडी ने अपने बजट में ट्रैफिक समस्या के निराकरण के लिए फ्लाईओवर, ग्रेड सेपरेटर और फुट ओवरब्रिज बनाने के लिए प्रावधान किया था, लेकिन अब निर्माण में बहानेबाजी शुरू हो गई है।

मेट्रो कागजों में तीन साल पहले से रोके ग्रेड सेपरेटर, एफओबी निर्माण

एजेंसियों का बहाना है कि मप्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने काम पर रोक लगाई है, जबकि कॉर्पोरेशन के अफसरों का कहना है कि जनता की सुविधा से जुड़ी चीजों पर चर्चा कर काम शुरू किया जा सकता है, वहीं ट्रैफिक जाम की समस्या से लोगों को लगातार दो-चार होना पड़ रहा है 

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मप्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने पांच रूट तय किए हैं, इनमें से पहले फेज में दो रूट चालू होना है। कंपनी ने संबंधित सभी एजेंसियों को अपने रूट बता चुकी है। कार्पोरेशन ने 2014 में एक खत लिखकर सभी निर्माण एजेंसियों को भी इसकी जानकारी दे दी थी। खत में यह आशंका जताई थी कि मेट्रो के निर्माण में दूसरे निर्माण कार्यों से परेशानी होगी, इसलिए पहले एनओसी लें। एजेंसियों ने इसका गलत अर्थ निकाल प्रोजेक्ट्स से हाथ खींच लिए। मेट्रो से जुड़े अफसरों का कहना है कि एजेंसियां काम कर सकती है, लेकिन पहले सूचना दे।

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न्यू मार्केट रोशनपुरा क्षेत्र में फुट ओवरब्रिज का निर्माण की योजना

असरः नगर निगम ने न्यूमार्केट और रोशनपुरा क्षेत्र में क्रासिंग के लिए फुट ओवरब्रिज का प्रावधान किया था, लेकिन यहां से मेट्रो की रूट नंबर पांच प्रस्तावित है। लिहाजा, यह सुविधा जनता को नहीं मिल पाई। इस चौराहे पर प्रति घंटा छह हजार वाहन गुजरते हैं।

भोपाल टॉकीज बस स्टैंड और चंचल चौराहे पर फुट ओवरब्रिज का निर्माण

असरः हमीदिया और बैरसिया रोड पर ट्रैफिक दबाव बहुत अधिक है। यहां अक्सर ट्रैफिक जाम लगता है। लोगों को मेनरोड क्रास करना मुश्किल होता है। फुट ओवरब्रिज नहीं होने से पैदल चलने वाले राहगीरों को फायदा नहीं मिल पा रहा है।

लालघाटी के पास गे्रड सेपरेटर का प्रस्ताव

असरः नगर निगम ने लालघाटी चौराहे पर ट्रैफिक जाम से निराकरण के लिए ग्रेड सेपरेटर बनाने के लिए अपने बजट में प्रावधान कर चुका है, लेकिन डिजाइन तक नहीं बन पाई। काम अटका हुआ है। वर्तमान में चौराहे का लेफ्ट टर्न नए सिरे से डिजाइन किया गया है, डिवाइडर रेलिंग और अतिक्रमण हटाकर नई डिजाइन के हिसाब से चौराहे का विकास किया जाना है। इस चौराहे पर बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।

काली मंदिर तलैया से अल्पना तिराहे के पास तक फ्लाईओवर

असरः नगर निगम ने वर्ष 2013-14 में फ्लाईओवर बनाने के लिए 20 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। इसकी डिजाइन के लिए जनरल कंसल्टेंट की नियुक्त की गई थी। तभी मेट्रो प्रोजेक्ट आ गया और डिजाइन फाइनल होने से पहले ही कवायद बंद हो गई। निगम के डिजाइन पर पांच लाख रुपए खर्च भी हो गए। इस मार्ग पर ट्रैफिक दबाव की समस्या बहुत अधिक है।

बोर्ड ऑफिस के पास फ्लाईओवर की योजना

असरः इस चौराहे पर 7 हजार प्रति घंटे वाहनों का दबाव रहता है। जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या के निराकरण के लिए मैदा मिल रोड स्थित एलआईसी कार्यालय से प्रगति पेट्रोल पंप और सरगम टॉकीज तक फ्लाईओवर बनाने की तैयारी थी। मकसद था कि मैदा मिल से सीधे सरगम टॉकीज के लिए बिना ट्रैफिक जाम में फंसे वाहन निकल सकते, लेकिन यहां से मेट्रो की रूट नंबर दो गुजरनी है। जिससे काम अटका हुआ है।

बैरागढ़ सिक्सलेन रूट पर फ्लाईओवर का प्रस्ताव

असरः सिक्सलेन से फ्लाईओवर बनना था। इससे लोग कोहेफिजा, मनुआभान की टेकरी और वीआईपी रोड की तरफ से आने-जाने वाले वाहन चालक सीधे निकल सकते थे, लेकिन मेट्रो रूट के कारण के कारण काम अटका हुआ है।

ऐशबाग क्षेत्र में आरओबी की योजना

असरः अशोका गार्डन ऐशबाग से बरखेड़ी रोड आने-जाने के लिए पुल बोगदा या फिर बजरिया आरओबी है। जिससे वाहनों को लंबा चक्कर लगाना पड़ता है। यहां से मेट्रो की रूट नंबर दो की लाइन प्रस्तावित है, इसलिए आगे का काम नहीं हो पाया। वर्तमान में ऐशबाग रेलवे फाटक बंद होने से लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है।

रूट नंबर 2ः (लंबाई 14.99 किमी) करोंद चौराहे से भोपाल टॉकीज, रेलवे स्टेशन, भारत टॉकीज, पुल बोगदा, सुभाष नगर अंडरब्रिज, बोर्ड ऑफिस चौराहा, हबीबगंज नाका, अल्कापुरी बस स्टैंड, एम्स।

रूट नंबर 5ः (लंबाई 12.88 किमी) डिपो चौराहे से जवाहर चौक, रोशनपुरा चौराहा, मिंटो हॉल, लिली टॉकीज, जिंसी, पुल बोगदा, प्रभात चौराहा, अप्सरा टॉकीज, गोविंदपुरा इंडस्ट्री एरिया, जेके रोड, रत्नागिरी तिराहा।

समन्वय बनाकर करेंगे काम

हमने सभी एजेंसियों को रूट की जानकारी दे दी है। मेट्रो रूट के दायरे में आने वालेविकास कार्य रोके नहीं गए हैं, बस समन्वय बनाकर काम करने के लिए कहा गया है।

फ्लाईओवर बनाना जरूरी

मेट्रो कब आएगी तय नहीं है, लेकिन हकीकत यह है कि मेट्रो से ज्यादा जरूरी है शहर में फ्लाईओवर और ग्रेड सेपरेटर बनाए जाएं। क्योंकि वाहनों की संख्या बहुत अधिक हो चुकी है, मेट्रो में आठ दस साल लग जाएंगे। बीडीए ने बोर्ड ऑफिस चौराहा और लालघाटी के पास फ्लाईओवर और ग्रेड सेपरेटर की प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन अभी मेट्रो के डीपीआर के फाइनल होने का इंतजार है।

सीएम के सामने रखूंगा बात

मेरे कार्यकाल को 24 महीने पूरे हो चुके हैं। मैं जल्द से जल्द लालघाटी, भोपाल टॉकीज आदि जगह ग्रेड सेपरेटर बनाना चाहता हूं, लेकिन मेट्रो के कारण काम नहीं कर पा रहा हूं। मैं मेट्रो कंपनी का डायरेक्टर भी हूं। सीएम के सामने बात रखूंगा कि मेट्रो को लेकर जल्दी निर्णय लिया जाए। मुझे इसकी चिंता है।

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