अगर आपका भी कोरोना काल में आया है ज्यादा बिजली का बिल, तो सरकार की तरफ से मिल रही हैं ये बड़ी राहत…

महाराष्ट्र खासकर मुंबई के लोग बिजली के बिल को लेकर अक्सर परेशान रहते हैं. कोरोना संकट के समय तो बिजली के अनाप-शनाप बिलों ने महाराष्ट्र के लोगों की नींद उड़ा दी, लेकिन अब महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार लॉकडाउन के दौरान आए बिजली बिलों पर बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है. इस पर कैबिनेट में मंजूरी के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है. इस योजना का फायदा महाराष्ट्र के एक करोड़ उपभोक्ताओं को मिलेगा. उद्धव सरकार की योजना के मुताबिक हर परिवार को 2019 के बिल के हिसाब से भुगतान करना होगा. इससे कोरोना काल में किसी का ज्यादा बिल आया होगा तो उसे ज्यादा रकम चुकाने से राहत मिल जाएगी. क्या आप इस योजना का दायरे में आते हैं? इसे ऐसे समझिए….

क्या है बिजली बिल माफी का उद्धव फॉर्मूला?
1. अगर इस साल अप्रैल-मई-जून का बिल पिछले साल इसी दौरान आए बिल से 100 यूनिट तक ज्यादा आया है, तो ये बढ़ा हुआ बिल माफ हो जाएगा
2. अगर अप्रैल-मई-जून का बिल पिछले साल से 101-300 यूनिट तक ज्यादा आया है, तो इस अतिरिक्त बिल का 75% हिस्सा माफ हो जाएगा
3. अगर पिछले साल के मुकाबले लॉकडाउन के दौरान बिजली का बिल 301-500 यूनिट या इससे ज्यादा था तो अतिरिक्त बिल का 50% हिस्सा सरकार माफ कर देगी
4. अगर बिजली का बिल 500 यूनिट आता था, तो सरकार इसके ऊपर आए अतिरिक्त बिल का 25% हिस्सा माफ कर देगी 

किन ग्राहकों को मिलेगी राहत और कैसे? 
1. महाराष्ट्र सरकार की योजना का फायदा सिर्फ घरेलू इस्तेमाल के लिए की गई बिजली के लिए होगा, कमर्शियल के लिए नहीं 
2. इस योजना में रियायत सिर्फ लॉकडाउन पीरियड यानि अप्रैल-जून-मई तीन महीनों के बिल पर ही मिलेगी 
4. उद्धव सरकार की इस स्कीम का फायदा सरकारी, निजी बिजली कंपनियों के सभी ग्राहकों को मिलेगा 
5. इस प्रस्ताव के तहत बिल की जांच होने के बाद उस पर रियायत अपने आप मिल जाएगी

क्यों देनी पड़ी राहत, क्या था मामला ?
दरअसल लॉकडाउन पीरियड अप्रैल-मई और जून के दौरान बिजली बिल में भारी बढ़ोतरी की शिकायतें आईं थीं. बिजली कंपनियों की दलील थी कि लॉकडाउन होने की वजह से उन्होंने मीटर की रीडिंग नहीं की. इसलिए उन्होंने उपभोक्ताओं को एक औसत बिल भेज दिया, बाद में रीडिंग कर रहे हैं. उपभोक्ताओं की शिकायत थी कि उनके बिजली बिल 5 गुना तक ज्यादा आए हैं. महाराष्ट्र सरकार की इस योजना से राज्य सरकार पर 1500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने की आशंका है. 

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