भारत में आज होगा ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का अंतिम ट्रायल, इस संस्था को मिली जिम्मेदारी

कोरोना संक्रमण के आंकड़ों पर नजर रख रही वेबसाइट वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, दुनियाभर में अबतक एक करोड़ 66 लाख से ज्यादा संक्रमण के मामले आ चुके हैं, जबकि मरने वालों की संख्या साढ़े 6 लाख के पार पहुंच गई है. अभी तक 6 लाख 55 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे समय में दुनिया में सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को ऑक्सफोर्ड और उसके पार्टनर एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन तैयार करने के लिए चुना है.

भारत में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका Covid​​-19 वैक्सीन के मानव परीक्षण के तीसरे और अंतिम चरण के लिए तैयार हैं. इसके लिए भारत में 5 जगहों को चिंहित किया गया है. इस पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव (डीबीटी) रेणु स्वरूप का कहना है कि यह एक आवश्यक कदम है क्योंकि भारतीयों को वैक्सीन देने से पहले देश के भीतर डेटा होना आवश्यक है.

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को ऑक्सफोर्ड और उसके पार्टनर एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन तैयार करने के लिए चुना है. इसके लिए पहले दो चरणों के लिए परीक्षण के परिणाम इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित किए गए थे. रेणु स्वरूप के अनुसार जैव प्रौद्योगिकी विभाग भारत में किसी भी कोरोना वैक्सीन के प्रयास का हिस्सा है.

रेणु स्वरूप का कहना है कि “डीबीटी अब चरण 3 क्लीनिकल साइटों की स्थापना कर रहा है. हमने पहले ही उन पर काम करना शुरू कर दिया है और पांच साइटें अब तीसरें चरण के परीक्षणों के लिए उपलब्ध होने के लिए तैयार है.” स्वरूप के अनिसार पुणे स्थित SII ने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से संभावित वैक्सीन के मानव क्लीनिकल ​​परीक्षणों के चरण 2 और 3 के संचालन की अनुमति भी मांगी है.

20 जुलाई को वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोरोनावायरस वैक्सीन सुरक्षित है और दुनिया भर में 1.66 करोड़ से अधिक लोगों को संक्रमित इस घातक बीमारी के खिलाफ मानव परीक्षण के पहले चरण के बाद शरीर के भीतर एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है.

द लैंसेट मेडिकल जर्नल में कहा गया था कि वैक्सीन के पहले चरण के क्लीनिकल ​​परीक्षण के अंतर्गत अप्रैल और मई में यूके के पांच अस्पतालों में 18 से 55 वर्ष की आयु के 1,077 स्वस्थ वयस्कों को वैक्सीन की खुराक दी गई थी. परिणाम में बताया गया कि वैक्सीन ने 56 दिनों तक मजबूत एंटीबॉडी और टी-सेल प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को प्रेरित किया.

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