… तो इतिहास बन जाएगा डीज़ल इंजन

जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. रेलवे बोर्ड दो साल बाद एक बार फिर रेलों में बदलाव की जिस तकनीक पर विचार कर रहा है, अगर उस पर मोहर लग गई तो कोयला इंजन के बाद अब डीजल इंजन भी इतिहास का हिस्सा बन जायेंगे. वर्ष 2018 में रेलवे बोर्ड की बैठक में ट्रेनों के डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक इंजनों से रिप्लेस करने की बात उठी थी लेकिन इस मुद्दे पर एकमत से कोई राय नहीं बन पाई. दो साल बाद बोर्ड की बैठक में एक बार फिर इस मुद्दे पर विमर्श हुआ और इस सम्बन्ध में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर उससे 15 अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा गया है.

रेलवे बोर्ड का मानना है कि ट्रेनों को इलेक्ट्रिक इंजन से चलाना आर्थिक और तकनीकी दोनों तरीकों से सर्वोत्तम तरीका है. बोर्ड के चेयरमैन वी.के.यादव ने बताया कि उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर दी गई है. कमेटी नुक्सान और फायदे दोनों मुद्दों पर गंभीरता से विचार करेगी और 15 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट दे देगी.
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वी.के.यादव ने बताया कि डीज़ल इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन में बदलने पर दो करोड़ रुपये खर्च आता है. कमेटी की रिपोर्ट अगर इलेक्ट्रिक इंजन के पक्ष में आती है तो देश की सभी ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजन से चलने लगेंगी.

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