श्रावण में कला साधकों के लिए श्रेयस्कर नटराज आराधना
पुरातन धर्म में त्रिदेवों के शक्तिशाली स्वरूप एवं महात्म्य को वर्णित किया गया है, जिनमें सर्वाधिक सुलभ एवं भक्त को अतिशीघ्र वरदान देने वाले देवो के देव भोलेनाथ महादेव है। शिव के विविध स्वरूपों में नटराज का भी विशेष उल्लेख है। नटराज जगद्गुरू शिव का ही एक स्वरूप है, जिसमें शिवशंभू नृत्य की मुद्रा में दिखाई देते है। नृत्य करते शिव के दो रूप है जिसमे तांडव शिव के रौद्र स्वरूप को दर्शाता है। जब शिव आनंदित होकर नृत्य करते है तो वही स्वरूप नटराज बन जाता है। शास्त्रों में उल्लेखित है कि शिव के आनंद स्वरूप से सृष्टि का अस्तित्व है। इस नृत्य मुद्रा में शिव एक पैर पर खड़े है, एवं इस मुद्रा में उनकी चार भुजाएँ नजर आती है। शिव के नटराज स्वरूप में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समाहित है।
भूतनाथ शिव को श्रावण मास अत्यधिक प्रिय है। नटराज स्तुति के पाठ एवं कला के नियमित अभ्यास से साधक कला साधना में पारंगत हो सकता है। नटराज स्तुति की आराधना से साधक सहज ही शिव की कृपा को प्राप्त कर सकता है। नृत्य विद्यालयों में मुख्यतः नटराज की मूर्ति स्थापित की जाती है एवं वहाँ भगवान नटराज को नमन करके ही कला की साधना आरंभ की जाती है। नटराज स्वरूप शिव की नृत्य कला की श्रेष्ठ मुद्रा है। नटराज स्तुति एक शक्तिशाली स्तुति है। नटराज मुख्यतः नृत्य के देवता है। जब भी शिवजी आनंद स्वरूप होकर नृत्य करते है तो यह रूप नटराज का प्रतिनिधित्व करता है। कला के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने वालो को नटराज की मूर्ति के समक्ष वंदन करके, नटराज स्तुति का सुमधुर वाचन कर कला के ज्ञानार्जन की ओर अग्रसर होना चाहिए। कला क्षेत्र से सम्बद्ध कलाकारों को प्रतिदिन नटराज स्तुति का पाठ करना चाहिए। नृत्य साधक इससे शिव की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते है।
शिव का नटराज रूप है कला का साधक, श्रावण मास में बनिए शिव के आराधक।
आनंद स्वरूप नटराज का करिए ध्यान, सहज प्राप्त हो जाएगा कला में श्रेष्ठ स्थान।
सोमवार के दिन नटराज स्तुति का वाचन करने से साधक को विशेष लाभ प्राप्त होता है, क्योंकि सोमवार को सोमनाथ का ही दिन माना जाता है। कला क्षेत्र में सफलता की चाह रखने वालों को प्रतिदिन इस स्तुति को दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। चन्द्रशेखर कैलाशपति की आराधना में अनेक मंत्रों एवं स्त्रोतों का उल्लेख है, परंतु कला साधको के लिए नटराज स्तुति अत्यंत प्रभावशाली एवं लाभकारी है। सस्वर वाचन करने से आप कला के क्षेत्र में सर्वोत्तम स्थान प्राप्त कर सकते है। आइये ध्यान करे देवो के देव महादेव का नटराज स्तुति से:-
सत सृष्टि तांडव रचयिता नटराज राज नमो नमः
हेआद्य गुरु शंकर पिता नटराज राज नमो नमः
गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्माडना
नित होत नाद प्रचंडना नटराज राज नमो नमः
शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां
विषनाग माला कंठ मां नटराज राज नमो नमः
तवशक्ति वामांगे स्थिता हे चंद्रिका अपराजिता
चहु वेद गाए संहिता नटराज राज नमोः
लेखिका – डॉ. रीना रवि मालपानी
सावन के महीने में शिवजी के इन मंत्रों को जपने से दूर होगे सारे दुःख…(Opens in a new browser tab)