30 दिनों के अंदर भारत में दिखाई देने वाले तीन ग्रहण शुभ नहीं: AIFAS
धरती पर आई विपत्तियों जैसे कोरोना महामारी का फैलना, पश्चिम बंगाल में समुद्री तूफान का आना, आदि इन सब का संबंध कहीं न कहीं आकाशीय पिंडों से संबंधित है।
अंतरिक्ष में गोचर कर रहे नौ ग्रह वर्तमान परिस्थिति में जिन राशियों और नक्षत्रों को पार कर रहे हैं, वे धरती पर कुछ प्राकृतिक या मानव जनित परेशानियों को पैदा करने वाली हो सकती हैं।
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसाइटी (AIFAS) के कानपुर चैप्टर के असिस्टेंट प्रोफेसर शील गुप्ता ने बताया कि राहु का मंगल के नक्षत्र में गोचर और 30 दिनों के अंदर भारत में दिखाई देने वाले दो ग्रहणों सहित कुल तीन ग्रहण पड़ रहे हैं, जो शुभ नहीं माने जाते हैं।
22 मई को राहु अपना नक्षत्र परिवर्तन कर रहे हैं और मंगल के नक्षत्र मृगशिरा में प्रवेश करेंगे। उस समय कर्क लग्न उदय हो रही है।
उसी समय की कुंडली के अनुसार, राहु 12वें भाव में और केतु छठवें भाव में स्थित होंगे। कर्क लग्न का संबंध जल से है। अतः आशंका है कि जल या समुद्र से कोई विनाशकारी घटना का जन्म होगा। वह समुद्री तूफान हो सकता है या सुनामी जैसी कोई दुर्घटना।
सप्तम भाव में वक्री गुरु, वक्री शनि, और वक्री प्लूटो मकर राशि में स्थित है। देश में बारिश ओले गिरना, सड़कें नजर नहीं आने जैसी स्थिति बन सकती है।
अतः किसी प्रकार का भयानक भूकंप आने की आशंका है, जो खासतौर पर एशिया से संबंधित क्षेत्र में हो सकता है जैसे ईरान, इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन और भारत देश इसमें शामिल हो सकते हैं। यदि इसकी वजह से तूफान उठता है, समुद्र में तो और भी ज्यादा भयानक हो सकता है।
राहु से ठीक 12वें भाव में वृष राशि में वक्री शुक्र, सूर्य, बुध और उच्च का चंद्रमा अस्त स्थिति में हैं। यह कोई विचित्र अनहोनी की आशंका पैदा कर रहे हैं।
देश के किसी राष्ट्राध्यक्ष की हत्या या मृत्यु हो सकती है, जिसके कारण सम्पूर्ण विश्व में अशांति की स्थिति हो सकती है। या फिर कोई पानी का जहाज डूबेगा या डुबोया जाएगा। अस्त चंद्रमा से नौवें भाव मे शनि का वक्री होना कुछ न कुछ विवाद अशांति और युद्ध को दर्शाता है।
अष्टम भाव मे मंगल है जो सूर्य से दशम और चंद्रमा से भी दशम है। अतः शास्त्र इसे तलवार द्वारा शत्रु घात बताते हैं यानी युद्ध संभव है।
मगर, यदि युद्ध हुआ तो वह समुद्र से ही लड़ा जाएगा। यह सब घटनाएं 22 मई से 23 सितंबर तक यह हो सकती हैं। जब तक राहु-केतु का राशि परिवर्तन नहीं होता है। 21 जून को इसी बीच सूर्य ग्रहण होगा और 5 जुलाई को चंद्र ग्रहण होगा यह भी कहीं न कहीं अशुभ संदेश ही दे रहा है।