धर्म: 700 ई. पू. के तिरुनेलवेली में नेल्लईअप्पार मंदिर के खंभों से घंटी जैसी मधुर ध्वनि निकलती है
भारत के तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली में नेल्लईअप्पार मंदिर है। इस मंदिर में शिव की प्रतिमा है, जिसे 700 ई. पू. में बनाया गया है।
यह मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस मंदिर को संगीत स्तंभ भी कहा जाता है, क्योंकि इस मंदिर में स्थित पत्थर के खंभों से आप मधुर संगीत की धुन निकाल सकते हैं। तिरुनेलवेली मंदिर का निर्माण 7 वीं शताब्दी में हुई है और इसका निर्माण पांड्यों ने किया था।
यह मंदिर 14 एकड़ में फैला है और इसका मुख्य द्वार 850 फीट लंबा और 756 फीट चौड़ा है। जबकि संगीत खंभों का निर्माण निंदरेसर नेदुमारन ने किया था, जो कि तत्कालीन समय में श्रेष्ठ शिल्पकारी है।
मंदिर में स्थित खंभों से मधुर धुन निकलती है, जिससे श्रद्धालुओं में कौतहूल रहता है। इन खंभों से घंटी जैसी मधुर ध्वनि निकलती है। आप इन खंभों से सात रंग के संगीत की धुन निकाल सकते हैं।
इस मंदिर की वास्तुकला इतनी निराली है कि एक ही पत्थर से 48 खंभे बनाए गए हैं। जबकि ये सभी 48 खंभे मुख्य खंभे को घेरे हुए है।
इस मंदिर में कुल 161 खंभे ऐसे हैं, जिनसे संगीत की ध्वनि निकलती है। आश्चर्य की बात यह है कि अगर आप एक खंभे से ध्वनि निकालने की कोशिश करेंगे तो अन्य खंभों में भी कंपन होने लगती है। इस विषय पर कई शोध किए गए हैं।
इसमें एक शोध के अनुसार, इन पत्थर के खंभों को तीन श्रेणी में बांटे गए हैं, जिनमें पहले को श्रुति स्तंभ, दूसरे को गण थंगूल और तीसरे को लया थंगूल कहा जाता है।
इनमें श्रुति स्तंभ और लय के बीच आपसी संबंध है। जब श्रुति स्तंभ पर कोई टैप किया जाता है तो लया थूंगल से भी आवाज निकलती है। ठीक उसी तरह लया थूंगल पर कोई टैप किया जाता है तो श्रुति स्तंभ से भी ध्वनि निकलती है।