महंगाई भत्ते की किस्त रोकने पर केंद्र और दिल्ली सरकार के खिलाफ याचिका
-दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर सुनवाई की तारीख तय नहीं
लखनऊ/नयी दिल्ली। केंद्र सरकार और दिल्ली की आप सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों की महंगाई भत्ते की किस्त को फ्रीज किये जाने के खिलाफ याचिका दायर कर फैसले को चुनौती दी गयी है। दिल्ली हाईकोर्ट में यह याचिका सोमवार को दाखिल की गयी है। यह याचिका एन प्रदीप शर्मा द्वारा दायर की गयी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोविड-19 महामारी के मद्देनजर फ्रीज की गयी महंगाई भत्ते की किस्त के निर्णय को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों के डीए को फ्रीज करने का फैसला बढ़ती महंगाई के समय लिया गया है, खासकर दिल्ली में, जहां ईंधन, शराब और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है।
याचिकाकर्ता एन प्रदीप शर्मा ने कहा है कि इस तरह का कदम उठाने के लिए कोई वित्तीय आपात स्थिति नहीं है क्योंकि प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) के पास लगभग 3,800 करोड़ रुपये का कोष है और समाचार रिपोर्टों के अनुसार पीएम कॉर्पस फंड को 6,500 करोड़ रुपये का दान मिला है।
याचिका का उल्लेख वेबलिंक के माध्यम से एक संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष किया गया था और एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने की अनुमति देने की मांग की गयी है। हाईकोर्ट रजिस्ट्री के सूत्रों ने कहा कि लिस्टिंग की तारीख अभी तय नहीं की गई है।
याचिका में दावा किया गया है कि डीए को फ्रीज करने का निर्णय संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है और आपदा प्रबंधन अधिनियम सरकार को वेतन रोकने की कोई शक्ति नहीं देता है क्योंकि इसमें महंगाई भत्ता भी शामिल है।
याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने कोविड-19 संकट के मद्देनजर जुलाई में डीए में प्रस्तावित चार फीसदी बढ़ोतरी में देरी करने का फैसला किया है।
याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार से अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को “डीए” तुरंत “जारी” करने के लिए आदेश की मांग की गयी है। याचिका में कहा गया है कि इस पर फैसला “स्वास्थ्य योद्धाओं” को “मनोबल को बढ़ावा” देगा, जो लोगों को घातक कोरोनावायरस से बचा रहे हैं।