सरोजिनी नायडू पुण्यतिथि: जानें भारत की पहली महिला गर्वनर की एक झलक
आज भारत की मशहूर राजनेता और कवियत्री सरोजिनी नायडू की पुण्यतिथि है. सरोजिनी नायडू की मृत्यु मार्च 2, सन 1949 में उत्तर प्रदेश के इलाहबाद जोकि अब प्रयागराज है, में हुई थी. सरोजिनी नायडू को भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में एक राजनीतिक कार्यकर्ता, महिला अधिकारों की समर्थक, स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू को उनकी प्रभावी वाणी और ओजपूर्ण लेखनी के कारण ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’. कहा जाता था.
हैदराबाद में हुआ था जन्म:
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था. उनके पिता का नाम अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय था. सरोजिनी नायडू के पिताजी हैदराबाद के निजाम कॉलेज में प्रिंसिपल थे. सरोजिनी ने यूनिवर्सिटी आफ मद्रास के अलावा लंदन के किंग्स कॉलेज और उसके बाद कैंब्रिज के गिरटन कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की.
लड़ी आजादी की लड़ाई:
सरोजिनी नायडू ने देश की आजादी के संघर्ष में शिरकत की और आजादी के बाद उन्हें यूनाइटेड प्राविंसेज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) का राज्यपाल बनाया गया. उन्हें देश की पहली महिला राज्यपाल होने का भी गौरव हासिल है. उनकी लेखनी ने भी देश के बुद्धिजीवियों को प्रभावित किया.
सरोजिनी नायडू ने देश की आजादी के संघर्ष में शिरकत की और आजादी के बाद उन्हें यूनाइटेड प्राविंसेज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) का राज्यपाल बनाया गया. उन्हें देश की पहली महिला राज्यपाल होने का भी गौरव हासिल है. उनकी लेखनी ने भी देश के बुद्धिजीवियों को प्रभावित किया.
कविताएं भी लिखती थी सरोजिनी:
सरोजिनी नायडू बचपन के दिनों से ही काफी कुशाग्र बुद्धि की थीं. वह पढ़ाई के साथ-साथ कविताएं भी लिखती रहीं. ‘गोल्डन थ्रैशोल्ड’ उनका पहला कविता संग्रह था. उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह ‘बर्ड ऑफ टाइम’ और ‘ब्रोकन विंग’ से उन्हें काफी ख्याति प्राप्त हुई.
पहली महिला राज्यपाल बनीं:
सरोजिनी नायडू भारतीय राज्य (गवर्नर ऑफ यूनाइटिड प्रोविनस) जिसे कि अब उत्तर प्रदेश कहा जाता है की पहली महिला गर्वनर थीं. उन्होंने सन 1925 में साउथ अफ्रीका में ईस्ट अफ्रीकन इंडियन कांग्रेस को लीड किया. इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें केसर-ए-हिंद की उपाधि भी दी. दरअसल, यह उपाधि इसलिए मिली थी क्योंकि जब भारत में प्लेग महामारी फैली हुई थी तो बिना जान की परवाह करते हुए सरोजिनी नायडू ने एक जागरूक कार्यकर्ता की तरह सेवा भाव से काम किया था.