बड़ा खुलासा: सुभाष ने खुद ही बनाया था बम, ऐसे आया था बम बनाने का आईडिया

बेटी के जन्म दिन के बहाने बुलाकर 24 बच्चों को बंधक बनाने वाले शातिर दिमाग सुभाष बाथम ने यू-ट्यूब और गूगल को गुरु बनाकर बम बनाना सीखा था। विदेशों में बंधक बनाने की घटनाओं का वीडियो देखकर उसे योजनाबद्ध तरीके से साजिश रची थी। उसके घर पर मिले मोबाइल फोन की सर्च हिस्ट्री देखने के बाद हकीकत सामने आ गई है कि उसके दिमाग में इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने का आइडिया कहां से आया था। अब पुलिस अधिकारी मोबाइल की सर्विलांस जांच कराने की तैयारी कर रहे हैं।

पुलिस और ग्रामीणों से बदला लेने की फिराक में था सुभाष

चोरी के मामले में जेल गया सुभाष जब जेल से छूटा तो पुलिस और ग्रामीणों से बदला चुकाने की फिराक में था। वहां कई अपराधियों से उसने जानकारी ली। इसके बाद विदेशों में हुई बंधक बनाने और अपहरण करने की घटनाओं के वीडियो देखे। यू-ट््यूब और गूगल पर ही उसने बम बनाने के तरीके खोजे। दो दिन पूर्व उसने कमरे में टॉयलट भी बनवाया था। इसके बाद गैस सिलिंडिर और पेंट के डिब्बे में बम तैयार किए। एसपी डॉ.अनिल कुमार मिश्र ने बताया कि सुभाष के घर की तलाशी के दौरान एंड्रायड मोबाइल मिला, जिसकी सर्च हिस्ट्री में इस तरह से वीडियो मिले हैं।

रूस के एक स्कूल में बंधक बनाने का वीडियो मिला

आइजी कानपुर रेंज मोहित अग्रवाल ने कहा सुभाष के मोबाइल से रूस के स्कूल में बंधक बनाए जाने की घटना का वीडियो मिला है। यह वीडियो वर्ष 2004 की घटना का है। वारदात और बम बनाने के लिए वह यू-ट््यूब की भी मदद लेता था। वीडियो की तरह ही बच्चों को बंधक बनाकर वह अपनी मांगें मनवाना चाहता था लेकिन उसने अंजाम के बारे में नहीं सोचा।

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पूरे घर में बिछा रखा था तारों का जाल

सुभाष ने अपने पूरे घर में बिजली के तारों का जाल फैला रखा था। ताकि वह कहीं से भी बैटरी का करंट हासिल कर सके। घर में मिले सामान को देखकर माना जा रहा है कि सुभाष तेज आवाज में गाने सुनने का शौकीन था। उसने घर में 250 वाट का एक एम्प्लीफायर और कैसेट व पेनड्राइव प्लेयर भी लगा रखा था। उसके पास एक एलईडी टीवी भी लगी थी, इन उपकरणों को चलाने के लिए उसने बिजली कनेक्शन नहीं लिया था बल्कि सोलर सिस्टम लगा रखा था। छत पर लगी सोलर प्लेट के जरिए बैटरी चार्ज करता था।

बच्चों से कहा था, बंकर में मनाएंगे बर्थडे पार्टी

सुभाष जब मोहल्ले के बच्चों को अपने घर लाया था उससे पहले उसने बंकर की कच्ची जमीन पर दरी बिछा रखी थी और वहां टॉफी और बिस्कुट आदि रख दिए थे। बच्चों से कहा कि अंदर ही जन्मदिन मनाएंगे। इसी पर बच्चे बिना विरोध किए लकड़ी की सीढ़ी से बंकर में उतर गए थे। जब सब बच्चे उसने वहां बंद कर दिए तो केक लाने के बहाने ऊपर आया और बंकर का दरवाजा बंद कर दिया। गनीमत रही कि बंकर में लगे लोहे के दरवाजे में कुछ ग्रिल थी। इससे बच्चों को आक्सीजन मिलती रही।

बंकर में गड्ढा में दबाया था सिलिंडर बम

सुभाष ने बच्चों को शक न हो, इसलिए गड्ढे खोद कर उसमें बारूद भरकर बनाए गए सिलिंडर बम को रखा था। उसमें विस्फोट के लिए कनेक्शन कर तार ऊपर खींच ले गया था। यही तार अंजलि ने तोड़ दिया था। सुभाष कमरे के अंदर पड़ी टीन शेड के नीचे बम तैयार करता था। उसके घर में सुतली, कपड़ा और कटे हुए तार के टुकड़े भी मिले। सुभाष ने जिस बम में विस्फोट किया था, उसका तार नये बनाए सीवर टैंक के रास्ते से बाहर निकाला था। उसने लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए पुरानी लैट्रिन सीट लगाई थी।

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