कागजों में पैदा कर दी महिला, LIC को लगाया लाखों का चूना

वैसे तो अक्सर भारतीय जीवन बीमा निगम में धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहते हैं लेकिन इस बार एक डॉक्टर का कारनामा सामने आया तो सभी हैरत में पड़ गए हैं। शहर के एक डॉक्टर ने कागजों में एक महिला को पहले ‘पैदा’ किया और फिर उसका बीमा कराने के बाद नॉमिनी बनकर 25 लाख रुपये एलआईसी से हड़प लिए। ऐसे ही फर्जीवाड़े की दोबारा कोशिश किए जाने पर उसका खेल खुल गया। एलआइसी अधिकारी ने एसएसपी से मुकदमा दर्ज कराने की मांग की तो जांच के आदेश दिए गए हैं।

दर्ज पते पर नहीं मिली महिला

फर्जीवाड़े का यह मामला भारतीय जीवन बीमा निगम की नगर शाखा-2 से जुड़ा है। शाखा के मुख्य प्रबंधक कैलाश नाथ की ओर से दी गई तहरीर के मुताबिक 25 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी संख्या 237893835 गीता गुप्ता के नाम से जारी की गई थी। नॉमिनी के रूप में सौरभ गुप्ता का नाम दर्ज था। जब बीमा राशि देने के लिए जांच कराई गई तो पॉलिसी में दर्ज पते पर न तो गीता देवी मिलीं और न ही सौरभ गुप्ता। संबंधित एजेंट से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि ग्वालटोली के एक डॉक्टर ने बीमा कराया था। यह भी सामने आया कि आरोपित डॉक्टर पहले भी एक बीमा कराकर रकम हड़प चुका है।

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इस तरह सामने आया डॉक्टर का सच

अधिकारियों ने जांच कराई तो पता चला कि पहले भी एक पॉलिसी संख्या 237748110 आशा देवी के नाम से जारी की गई थी। इसके नॉमिनी चिरादीप सेन गुप्ता थे। नौ मई 2017 को आशा देवी की मृत्यु होने का दावा किया गया। नॉमिनी के खाते में 25 लाख रुपये की बीमा राशि भी भेज दी गई। LIC अधिकारियों ने जब चिरादीप सेन गुप्ता के कैनरा बैंक स्थित खाते को खंगाला तो अकाउंट रिकार्ड में फोटो देखकर अफसर दंग रह गए। यह फोटो ग्वालटोली के उसी डॉक्टर की है, जिसके बारे एजेंट ने जानकारी दी थी। खास बात ये है कि आरोपित डॉक्टर के मूल नाम से एक पॉलिसी एलआइसी में चल रही है। अफसरों ने इसका भी रिकॉर्ड खंगाला तो पॉलिसी और बैंक खाते की फोटो एक ही निकली। इससे यह साफ हुआ कि डॉक्टर ने नाम बदलकर बैंक में फर्जी अकाउंट खुलाया था।

करोड़ों के घोटाले का अंदेशा

शिकायतकर्ता कैलाश नाथ ने बताया कि आरोपित डॉक्टर ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर उन लोगों के नाम से बीमा कराए, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। फर्जी पते, फर्जी फोटो, फर्जी आधार कार्ड लगाकर बैंक में अकाउंट खुलवाया और पहली पॉलिसी के 25 लाख रुपये हड़प लिए। उन्होंने तहरीर में जिक्र किया है कि यदि इस मामले की तह तक जाया जाए तो करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है। एसएसपी अनंतदेव तिवारी ने बताया कि मामला बेहद गंभीर है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ऐसे मामलों में जांच के बाद मुकदमा दर्ज होगा, इसलिए जांच कराई जा रही है।

चार साल तक किया इंतजार

डॉक्टर ने फर्जीवाड़े के लिए न केवल कूटरचित दस्तावेज तैयार कराए, बल्कि अपनी योजना को सफल करने के लिए चार साल तक इंतजार किया। एलआइसी अधिकारियों के मुताबिक आरोपित ने चार चाल तक वार्षिक प्रीमियम जमा किया। जांच के दौरान उसने सर्वेयर को दिग्भ्रमित कर पेमेंट करा लिया।

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