चीन की राह पर सऊदी अरब, पाक को दे दिया बड़ा झटका, अब उइगर मुस्लिमों को…

चीन में उइगर मुस्लिमों पर लगातार जुल्म हो रहा है और खुद को मुस्लिमों का सबसे बड़ा हितैषी मानने वाले पाकिस्तान के बाद अब सबसे ताकतवर मुस्लिम देश सऊदी अरब ने भी उइगर मुस्लिमों के पक्ष में खड़ा होने से इनकार कर दिया है. आखिर क्या कारण है कि सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान की राह पर चलते हुए ऐसा काम किया है.

 

दरअसल, सऊदी प्रिंस सलमान और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हाल ही में मुलाकात हुई है. और इसी मुलाकात के बाद सऊदी अरब ने कहा कि उइगर मुसतलामों का मुद्दा चीन का आंतरिक मामला है. और वह अपने हिसाब से इस मामले से निपटेगा.

न्यूज एजेंसी द न्यूज इंटरनेशनल के मुताबिक सलमान ने जिनपिंग से कहा कि चीन को अपनी आंतरिक सुरक्षा मजबूत करने के लिए आतंकवाद और कट्टरता पर कार्रवाई कर सकता है. यह उसका अधिकार है. उन्होंने कहा कि कोई भी देश अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ऐसा कदम उठा सकता है.

उइगर नेताओं ने मांगी थी मदद: 

दरअसल, सऊदी अरब का यह स्टैंड इसलिए भी खास है क्योंकि हाल ही में चीन के उइगर नेताओं ने सऊदी सरकार को पत्र लिखकर प्रिंस सलमान से अपने हक की लड़ाई में मदद मांगी थी. लेकिन अब सऊदी सरकार की तरफ से उनको झटका दे दिया गया है. इतना ही नहीं कुछ दिन पहले तुर्की के राष्ट्रपति एर्डोगन ने भी चीन पर आरोप लगाया था कि वहां उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है, हालांकि चीन के सख्त रुख के बाद तुर्की ने भी इस मामले पर चुप्पी साध ली थी. बता दें कि चीन के शिनजियांग प्रांत में में लगातार मुस्लिमों के खिलाफ चीन के अत्याचार की दास्तां अक्सर सामने आती रहती हैं. कई मुस्लिम नागरिकों को हिंसा के बलबूते जबरन उनके परिवार से दूर डिटेंशन कैंपों में भेज दिया जाता है.

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हालात ये हैं कि पिछले दिनों आई न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपने यहां के उइगर मुसलमानों को इस कदर प्रताड़ित कर रहा है कि सरकार मुस्लिम बच्चों को बोर्डिंग स्कूल भेज रही है और उनके माता-पिता को डिटेंशन कैंपों में रख रही है. 

इमरान पहले ही बन चुके हैं अनजान: 

खुद को शांति का दूत बताने वाले पाकिस्तान पीएम इमरान खान भी चीन के उइगर मुस्लिमों के बारे में अनजान ही बने रहना चाहते हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.

चीन अपने हिसाब से लिखेगा कुरान: 

इसी बीच पिछले दिनों चीन ने एक और निर्णय लिया जिसमें वह कुरान, बाइबल सहित उन धर्म ग्रंथों को अपने हिसाब से लिखेगा जो की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के विश्वासों के खिलाफ जाती हो. पार्टी के एक अधिकारी ने बताया कि उनमें या तो बदलाव किया जाएगा या फिर उनका फिर से अनुवाद करवाया जाएगा.

मुस्लिमों की है दुर्दशा: 

‘काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से भागने में कामयाब रहे कुछ मुस्लिमों का कहना है कि उन्हें जबरन इस्लाम का त्याग करने के लिए मजबूर किया गया और चीन की सत्तारूढ़ पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति वफादार रहने की प्रतिज्ञा दिलवाई गई.

 

 

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