बीजेपी ने छोड़ी अपनी सबसे बड़ी जिद, अब मोदी कैबिनेट में शामिल होगी ये पार्टी

नई दिल्‍ली। तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में मात और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्ट्रर फॉर सिटिजन पर झटके के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। बीजेपी अब ‘एकला चलो’ की अपनी जिद को छोड़ क्षेत्रीय दलों को भाव देनी लगी है। यही नहीं केंद्रीय स्तर पर भी बदलाव किए जाने की उम्मीद है। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) जल्दी मोदी कैबिनेट में शामिल हो सकता है।

बीजेपी अपनी रणनीति में बदलाव ऐसे समय पर कर रही है जब बिहार में चुनाव नजदीक हैं। बिहार में पार्टी किसी भी कीमत पर अपनी सहयोगी जेडीयू को नाराज करने के मूड में नहीं है। जेडीयू का सीएए और एनआरसी पर अबतक का रवैया सरकार के खिलाफ रहा है। ऐसे में जेडीयू को अपने साथ बनाए रखने के लिए बीजेपी केंद्रीय कैबिनेट में जेडीयू नेता राजीव रंजन (लल्लन) सिंह और राम चंद्र प्रसाद सिंह को जगह दे सकती है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक बिहार में चुनाव से पहले अपने सहयोगी को मजबूती के साथ जोड़े रखना चाहती है।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी एक खबर के मुताबिक बीजेपी के नेता ने कहा है कि अगर जेडीयू को कैबिनट का हिस्सा बनाया जाता है तो यह दोनों दलों को विधानसभा चुनाव से पहले ‘सीमेंट’ की मजबूती की तरह जोड़कर रखेगा। बीजेपी अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार का नाम सीएम के चेहरे के रूप में पहले ही घोषित कर चुके हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि बीजेपी बिहार में त्रिकोणीय मुकाबला नहीं चाहती, अगर ऐसा होता है तो यह आरजेडी के लिए सत्ता में वापसी का एक सुनहरा मौका बन सकता है।

हाल में बीजेपी लीडरशिप द्वारा एनआरसी पर जोर देने के बाद राजनीतिक पर्यवेक्षक भ्रमित हैं। राज्य में किस रणनीति पर आगे बढ़ा जाए और किसे साइडलाइन किया जाए यह पेचीदा बन गया है। हालांकि विपक्षी दल इसे सत्ता में वापसी का एक सुनहरा अवसर मान रहे हैं। जेडीयू ने बीते महीने सीएए की आलोचना के बावजूद संसद के दोनों सदनों में बीजेपी का साथ दिया। जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा है कि जेडीयू को बिहार में बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद जेडीयू ने लल्लन सिंह और राम चंद्र प्रसाद के नाम कैबिनेट मंत्रियों के लिए सुझाए थे लेकिन बीजेपी ने भूमिहार नेता गिरिराज सिंह के नाम पर पहले ही मुहर लगा दी थी। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक गिरिराज का नाम तय होने के बाद भूमिहार लल्लन सिंह को नजरअंदाज कर दिया। मौजूदा समय में  बीजेपी का जेडीयू को साथ लेकर चलना बेहद जरूरी है। बीजेपी इस समय नागरिकता कानून और आर्थिक हालातों पर आलोचनाओं का सामना कर रही है। एनडीए के कई सहयोगियों ने खुलकर मोदी सरकार की इन दोनों मुद्दों पर आलोचना की है।

मालूम हो कि तीन राज्य (महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा) में बीजेपी को करारा झटका लगा है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करने के बाद वह सत्ता से बाहर हो गई। वहीं झारखंड चुनाव में पार्टी को करारी हार मिली। वहीं हरियाणा में भी बीजेपी अपने दम पर सत्ता पर काबिज नहीं हो सकी इसके लिए जननायक जनता पार्टी के साथ मिलकर बहुमत का आंकड़ा छूना पड़ा।

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