पाक के इस सबसे खतरनाक इलाके में तैनात हैं महिला कमांडो, कारण जानकर रह जाएंग हैरान
बीते साल पाकिस्तान के कराची में जब चीनी वाणिज्यिक दूतावास पर चरमपंथियों ने हमला किया तब एक महिला कमांडो सुहाई अजीज तालपुर ने जिस तरह बहादुरी दिखाई, उससे वो पूरे पाकिस्तान में चर्चाओं में आ गई थीं। उनके साथ ही वहां की औरतों का एक मजबूत चेहरा भी उभरकर आया।
यहां पर महिला कमांडो की संख्या तेजी से बढ़ी है। जो जबरदस्त तरीके से जांबाज साबित हो रही हैं। दिलचस्प बात ये है कि कमांडो ट्रेनिंग ले रही अधिकतर महिलाएं ख़ैबर पख़्तूनख्वा से ताल्लुक रखती हैं जहां महिलाओं को परदे में ही रखने पर जोर दिया जाता है।
वॉइस ऑफ अमेरिका के उर्दू डिवीजन के मुताबिक साल 2018 में लगभग 600 महिला कमांडो की पंजाब पुलिस में नियुक्ति हुई। ख़ैबर पख़्तूनख्वा के नौशेरा में इनकी सख्त ट्रेनिंग हुई, जिसमें मुश्किल हालात का सामना करने से लेकर हथियार और ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग दी गई। इनमें से बहुतेरी महिलाएं उन घरों से आती हैं, जहां पर औरतों का बाहर निकलना तो दूर उनकी पढ़ाई-लिखाई भी नहीं कराई जाती।
कमांडो फोर्स में शामिल हो रही महिलाओं में ख़ैबर पख़्तूनख्वा की रहनेवाली भी कम नहीं। पाकिस्तान को अफगान से जोड़ने वाला ये इलाका चरमपंथियों का स्वर्ग बना हुआ है। खासकर साल 2004 से तालिबान इसपर कब्जा करने के लिए इसे अपना गढ़ बनाए हुए हैं।
आतंकवाद से आजिज आए लोगों में महिलाएं भी शामिल हैं जो लगातार आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) से जुड़ रही हैं। पंजाब रेंजर में भी महिलाएं शामिल हो रही हैं, जो खासतौर पर शांति बनाए रखने के लिए ऑपरेशन्स में जुटा रहता है। इसके अलावा वे किसी भी तरह की प्राकृतिक और राष्ट्रीय आपदा के वक्त भी सबसे आगे रहकर काम करती हैं।
पाकिस्तान में महिलाओं के फोर्स से जुड़ने का इतिहास बहुत पुराना है। यहां के ह्यूमन राइट्स कमीशन के साल 2010 में जारी डाटा के अनुसार सबसे पहले 1939 में सात महिला कॉस्टेबलों ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चल रहे एक अभियान में भाग लिया था। इसके बाद 1952 में ये संख्या 25 पार कर गई।
साल 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के प्रयासों से रावलपिंडी में पहला महिला थाना बना बना। जहां से ये पेशावर, कराची और लरकाना और फिर पूरे देश में फैल गया। हालांकि आतंकवाद निरोधक दस्ते में महिलाओं की नियुक्ति बहुत बाद में नवंबर 2014 से होनी शुरू हुई, तब से सिलसिला चल निकला।
आतंकवाद निरोधक दस्ते के लिए महिलाओं का प्रशिक्षण किसी भी तरीके से पुरुषों से अलग नहीं होता है। राइफल चलाने से लेकर ग्रेनेड चलाने और खतरनाक इलाकों में आतंकी साजिशें विफल करते हुए आगे बढ़ने की इन्हें ट्रेनिंग मिलती है। आतंकी हमलों, किसी प्राकृतिक आपदा में यही दस्ता सबसे पहले प्रतिक्रिया देता है यानी हालत पर काबू पाने की कोशिश करता है।
पाकिस्तान में महिला आतंकवाद निरोधक दस्ते की मॉटो लाइन है- Respect us, fear us यानी हमारा सम्मान करें, हमसे डरें। ये पड़ोसी देश में औरतों की हालात का इशारा देते हुए ये भी बताता है कि उससे छवि तोड़ने के लिए वे कितनी कोशिशें कर रही हैं।