संजय गांधी की जयंती: जानें कैसे हुई थी विमान हादसे में संजय गांधी की मौत, विमान गिरने के बाद..

किसी ने कल्पना नहीं की थी कि इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की मौत इतनी दर्दनाक होगी. आज ही के रोज संजय गांधी का जन्म 14 दिसंबर 1946 में दिल्ली में हुआ था. 33 साल की उम्र में विमान हादसे में उनकी मुत्यु हो गई थी. संजय गांधी की मौत भारतीय राजनीति के लिए बड़ी क्षति थी जिसने उभरता हुआ एक युवा नेता खो दिया था.

विमान हादसे की तारीख 23 जून 1980 थी और संजय की  मौत की खबर आते ही पूरा देश सन्‍न रहा गया था. संजय गांधी को इंदिरा गांधी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता था क्योंकि उस समय राजीव गांधी को राजनीति में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी. वह तेजतर्रार शैली, दृढ़ निश्चयी सोच और सादगी की वजह से देश के युवाओं की पसंद थे.

जानें- कैसे हुआ था हादसा

जून का महीना था. उस दिन काफी गर्मी थी. वह रोजाना की तरह सफदरजंग एयरपोर्ट के लिए अपनी कार से निकले थे. उस दिन वह दिल्ली फ्लाइंग क्लब के नए विमान ‘पिट्स एस 2ए’ को उड़ाने वाले थे, जिसे लेकर वह बेहद उत्सुक थे.

‘पिट्स एस 2ए’ को वह पहली बार नहीं उड़ा रहे थे. 23 जून को वह चौथी बार इस विमान में उड़ान भरने के लिए तैयार थे. इससे एक दिन पहले उन्होंने इसी विमान में अपनी पत्नी और सफदरजंग एयरपोर्ट के अधिकारी के साथ आसमान की सैर की थी. संजय गांधी के साथ उड़ान भर चुके पायलट, विमान उड़ाने की क्षमता को लेकर उनकी काबिलियत और जानकारी का लोहा मानते थे.

23 जून की सुबह 7 बजकर 58 मिनट पर सफेद और लाल धारियों वाला ‘पिट्स एस 2ए’ विमान उड़ान के लिए बिल्कुल तैयार था. टू सीटर विमान में फ्लाइंग क्लब के चीफ इन्स्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना को साथ लेकर संजय आसमान की ऊंचाई को नापने के लिए निकल पड़े.

इससे पहले विमान आसमान की ऊंचाई छूता, संजय ने उसे गोल- गोल घुमाना शुरू कर दिया. विमान तेजी से धरती की ओर आता फिर ऊपर की ओर चला जाता. संजय विमान को खतरनाक स्तर तक नीचे लाकर गोते खिलाने लगे थे. उनके ऊपर उस दिन रोमांच की चाह कुछ ज्यादा ही थी. वह ये नहीं जानते थे कि इस रोमांच की कीमत जान देकर चुकानी पड़ सकती है.

11 मिनट तक संजय का विमान हवा में कलाबाजी करता रहा. 12वें मिनट में विमान कुछ ज्यादा ही तेजी से धरती की ओर आया. संजय वापस आसमान की तरफ वापस उड़ाना चाहते थे तभी विमान का इंजन बंद हो गया और पलक झपकते ही सबकुछ खत्म हो गया.

विमान को गिरते हुए कंट्रोल टॉवर में बैठे लोगों ने जैसे ही देखा तो उनके मुंह खुले के खुले रह गए. उन्होंने देखा कि पिट्स अशोका होटल के पीछे एकदम से गायब हो गया है. सक्सेना के सहायक ने भी तेजी से विमान को नीचे गिरते हुए देखा था.

संजय का विमान अशोका होटल के पीछे एक पेड़ पर जा गिरा था. विमान के टूकड़े-टुकड़े हो गए थे. वहीं संजय गांधी और इन्स्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना की मौके पर ही मौत हो गई थी. उनका विमान नीम के पेड़ से टकरा गया था, जिसके बाद विमान के टुकड़े- टुकड़े हो गए थे. बता दें, पेड़ काटकर दोनों की बॉडी नीचे उतारी गई थी.

जैसे ही विमान हादसे की खबर चारों ओर पहुंची तो इस बात से सब चौंक गए थे. किसी ने नहीं सोचा था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है.

घटनास्थल पर एंबुलेंस, एयरक्राफ्ट अधिकारी और फायर ब्रिगेड पहुंचे. इसके बाद नीम के पेड़ की डालियां काटी गईं और विमान के मलबे के बीच से संजय और सुभाष के शव निकाले गए. दोनों की शवों को सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया.

एक मां के लिए ये सुनना कि उनका छोटा बेटा इस दुनिया में नहीं रहा, कितना मुश्किल है इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. जैसे ही मां इंदिरा गांधी को हादसा का मालूम चला वह तुरंत सफदरजंग अस्पताल की ओर रवाना हुईं. जिस बेटे ने सियासत में मां का हाथ थामे रखा उसके बारे में ऐसी खबर सुन इंदिरा के पैरों तले जमीन खिसक गई थी.

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इंदिरा ने छोटे बेटे की लाश देखी तो उसके निर्जीव शरीर के देखकर अपना दर्द नहीं रोक पाई और फूट- फूटकर रोने लगीं. वहीं आधिकारिक तौर पर सुबह 10 बजे संजय गांधी की मौत की खबर दे दी गई थी. जिसके बाद उनके चाहने वालों की भीड़ अस्पताल के बाहर जुटने लगी. शाम 6:30 बजे उनकी शव यात्रा निकाली गई थी.

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