डीएचएफएल के बाद अब पावर कारपोरेशन भी मुबंई हाईकोर्ट पहुंची, कर्मचारियों को मिल सकती है राहत
लखनऊ, 15 नवंबर
पहले डीएचएफएल और अब उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने भी बिजली कर्मचारियों के भविष्य निधि के पैसों के भुगतान को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इसके बाद अब अपने पीएफ के पैसों को लेकर बिजली कर्मचारियों को राहत मिलने के आसार बढ़ गए हैं। पावर कारपोरेशन ने अदालत से अपने कर्मचारियों के भविष्य निधि (पीएफ) के पैसों की अदायगी की गुहार लगायी है।
उधर इससे पहले ही उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के भविष्य निधि का पैसा लौटाने के लिए डीएचएफएल ने उच्च न्यायालय से अनुमति मांगी थी। कंपनी ने अदालत से सावधि जमा पर ब्याज व मूलधन के भुगतान पर लगी रोक हटाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि वह कर्मचारियों का पैसा वापस करने को लेकर प्रतिबद्ध है।
मुंबई उच्च न्यायालय ने डीएचएफएल को सुरक्षित मियादी जमा के भुगतान की अनुमति दे दी है। जबकि असुरक्षित मियादी जमा पर भुगतान के मामले की सुनवाई 20 नवंबर को करेगी। पावर कारपोरेशन के भी इसी तरह का अनुरोध किए जाने के बाद कर्मचारियों सहित डीएचएफएल को न्यायालय से सकारात्मक फैसले की उम्मीद बंध गयी है।
गौरतलब है कि रिलायंस निप्पान की ओर से दायर एक याचिका के आधार पर बीते महीने डीएचएफएल को किसी तरह का भुगतान किए जाने पर रोक लगा दी थी।
डीएचएफएल ने बीते सप्ताह ही मुंबई उच्च न्यायालय से अपनी जमा योजनाओं के भुगतान की अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया था। रिलायंस निप्पान की याचिका पर अपना अंतरिम जवाब देते हुए डीएचएफएल ने कहा कि कंपनी के नियामक नेशनल हाउसिंग बैंक के निर्देशानुसार सार्वजनिक जमा पर भुगतान करना जरूरी है। डीएचएफएल ने एक शपथपत्र दाखिल कर उच्च न्यायालय से परिपक्वता पर सार्वजनिक जमा पर भुगतान की मंजूरी मांगी है।
इस याचिका पर डीएचएफएल को सुरक्षित मियादी जमा के भुगतान की अनुमति न्यायालय ने दे दी है। असुरक्षित जमा राशियों को लेकर 20 नवंबर को अदालत को फैसला देना है। डीएचएफएल का कहना है कि उसने इस साल 30 सितंबर तक परिपक्वता पर पावर सेक्टर एम्पलाईज ट्रस्ट को नियमित रूप से ब्याज और मूलधन का पूरा भुगतान किया है। कंपनी का कहना है कि हाईकोर्ट से अनुमति मिलते ही वह परिपक्वता पर सभी सावधि जमा का भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध है।