विवाह में क्यों जरूरी है पाणिग्रहण संस्कार,जाने कारण
विवाह के समय पाणिग्रहण संस्कार होता है जिसमें वर के कंधे पर पड़े सफेद दुपट्टे में वधु की साड़ी का एक कोना बांध दिया जाता है इसे हम वैवाहिक ‘गठबंधन’ कहते हैं। गठबंधन इस बात का प्रतीक है कि अब नवदंपत्ति एक-दूसरे के साथ जुड़ चुके हैं।
उनसे यह आशा की जाती है कि जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति
के लिए वह एक दूसरे के पूरक बन हमेशा साथ रहते हुए अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत करें।
गठबंधन करते समय वधू के पल्ले और वर के दुपट्टे के बीच सिक्का (पैसा), पुष्प, हल्दी, दूर्वा और अक्षत(चावल) बांध दिए जाते हैं। यदि इन प्रतीकों को वर-वधू ठीक तरह से समझ लें तो वैवाहिक जीवन अलौकिक बन जाता है।
– सिक्का: यह प्रतीक है धनराशि का यानि जिस पर नवदंपत्ति का समान अधिकार होता है।
– पुष्प: प्रसन्नता और शुभकामनाओं का प्रतीक माना गया है।
– हल्दी: आरोग्य और ज्ञान का प्रतीक है जो कि वर-वधू के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को विकसित रखने में सहायक सिद्ध होती है।
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–अक्षत: संपूर्ण आयु की प्राप्ति और किसी वस्तु की कमी न रहे, यही अक्षत का संकेत है।
– दूर्वा: विशेषता है कि इसका जीवन तत्व कभी नष्ट नहीं होता। यदि सूखी दूर्वा को पानी में डाल दिया जाए तो वह हरी हो जाती है। यह पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक मानी गई है।
ठीक इसी तरह नवदंपत्ति इन पांच वस्तुओं के गठबंधन से एक-दूसरे के प्रति अटूट प्रेम और आत्मीयता बनी रहती है।