फर्जी मार्कशीट और करोड़ों के भुगतान के मामले में अपनों को बचा रहा लविवि प्रशासन, पढ़े पूरी खबर

 लखनऊ विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और जालसाजी की घटनाओं का क्रम जारी है। फर्जी मार्कशीट का मामला हो या फिर जालसाजी से लविवि प्रशासन के खाते से निकाले गए लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का मामला। पुलिस की शुरुआती कार्रवाई को छोड़ दिया जाए तो विश्वविद्यालय स्तर पर अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई, जबकि फर्जी मार्कशीट मामले का भंडाफोड़ हुए छह माह और फर्जी ढंग से करोड़ों रुपये के भुगतान के मामले को उजागर हुए एक माह से अधिक का समय बीत गया।

बता दें कि 17 अप्रैल 2019 को हसनगंज पुलिस ने खुलासे के बाद मामले में धरपकड़ शुरू की। पुलिस के मुताबिक पकड़े गए आरोपितों के बयान में विवि के तीन अन्य कर्मचारियों के नाम उजागर हुए थे। इनमें वरिष्ठ सहायक राजीव, कनिष्क लिपिक संजय सिंह चौहान, चतुर्थ श्रेणी कर्मी गया बक्श सिंह के नाम उजागर हुए थे। संजय सिंह चौहान के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिलने पर उन्हें जेल भेज दिया गया था। वहीं राजीव की भूमिका की पड़ताल पुलिस अभी भी सरगर्मी से कर रही है। जबकि गया बक्श सिंह मामला उजागर होने के बाद से ही फरार चल रहे हैं। इससे पूर्व खुलासे के वक्त ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नायाब हुसैन के साथ पांच अन्य को जेल भेजा गया था।

तो क्या अकाउंट विभाग पर मेहरबान है विवि प्रशासन

करीब डेढ़ करोड़ के फर्जी भुगतान के मामले में बाहर के जालसाजों को पुलिस ने पकड़ तो लिया, लेकिन विवि स्तर पर अभी तक अकाउंट विभाग की जिम्मेदारी तय नहीं हो सकी। विवि सूत्रों का कहना है कि अकाउंट विभाग के कर्मचारियों के बचाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इस विभाग के जांच की आंच अधिकारियों तक पहुंच सकती है। फर्जी भुगतान हो चुके रुपये की भी अभी तक रिकवरी नहीं हुई है।

क्या कहते हैं प्रवक्ता ? 

प्रवक्ता लविवि प्रो. एनके पाण्डेय के मुताबिक, जांच चल रही है, दोनों मामलों में जो लोग भी शामिल पाए जाते हैं, विवि स्तर पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

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