BPCL के विदेशी खरीदारों पर बना हुआ है असमंजस

सरकारी क्षेत्र की ऑयल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) के विनिवेश की प्रक्रिया में इसके संभावित खरीदारों को लेकर असमंजस बना हुआ है। घरेलू पेट्रोलियम कंपनी के रणनीतिक साझीदार के तौर पर जिन विदेशी कंपनियों की चर्चा चल रही है, उनके इस कंपनी में निवेश को लेकर वित्तीय एजेंसियां आश्वस्त नहीं हैं।

अंतरराष्ट्रीय इन्वेस्टमेंट बैंक और वित्तीय संस्था मैक्वायरी का मानना है कि ऐसे संभावित खरीदार ताजा निवेश करने की स्थिति में नहीं हैं। अपनी एक रिपोर्ट में मैक्वायरी ने तकरीबन सभी संभावित खरीदारों के हाल के वित्तीय फैसलों के आधार पर यह अनुमान लगाया है। पिछले सप्ताह ही अडानी गैस के साथ हाथ मिलाने वाली अमेरिकी तेल कंपनी टोटल के बारे में मैक्वायरी का मानना है कि कंपनी ने हाल ही में अफ्रीका में 9 अरब डालर का निवेश किया है।

लिहाजा इस बात की संभावनाएं कम हैं कि वह फिर से बड़ा निवेश करे। बीपीसीएल के सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही शेल ने भी शेयर बायबैक का कार्यक्रम शुरू किया हुआ है। फिलहाल कंपनी इसकी फंडिंग में लगी है। जहां तक बीपी का सवाल है, मैक्वायरी के मुताबिक वह पहले ही रिलायंस के साथ पेट्रोलियम उत्पादों के घरेलू रिटेल क्षेत्र में उतरने के लिए गठबंधन कर चुकी है। इसलिए अब बीपीसीएल में निवेश की इसकी कोई संभावना नहीं दिखती।

मैक्वायरी का मानना है कि पेट्रोलियम सेक्टर की एक अन्य बड़ी कंपनी शेवरॉन पहले भी भारत में संभावनाएं तलाश चुकी है। इस कंपनी के अब बीपीसीएल में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में शामिल होने की संभावनाएं नहीं के बराबर हैं। इसलिए इसकी तरफ से बीपीसीएल की निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेने की उम्मीद बेहद कम है। दुनिया की एक और बड़ी कंपनी एक्सॉन के भी बीपीसीएल में दावेदारी की चर्चा है।

लेकिन मैक्वायरी का मानना है कि ल्युब्रिकेंट के अपने मोबिल ब्रांड के साथ वह पहले से ही भारत में है। वह अभी तक भारतीय बाजार में अपनी दमदार दर्ज नहीं करा पाई है। इसलिए एक्सॉन की तरफ से भी विनिवेश प्रक्रिया में हिस्सा लेने की संभावनाएं बेहद क्षीण दिखायी देती हैं। गौरतलब है कि सरकारी कंपनियों की विनिवेश योजना के तहत सरकार ने बीपीसीएल की विनिवेश प्रक्रिया पर काम चल रहा है।

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