जानें क्यों नेपाल में भड़के शी जिनपिंग ने कहा, तोड़ देंगे हड्डियां

नेपाल के दौरे पर पहुंचे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार को चेतावनी दी कि अगर चीन को तोड़ने की कोई कोशिश होती है तो उसे कुचल दिया जाएगा.

शी जिनपिंग 23 सालों में नेपाल का दौरा करने वाले पहले चीनी राष्ट्रपति हैं. नेपाल दौरे में उन्होंने 20 समझौते और 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद देने का भी ऐलान किया.

चीन के सरकारी चैनल सीजीटीएन के मुताबिक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि अगर देश के किसी भी हिस्से में चीन को तोड़ने की कोई भी कोशिश होती है तो ऐसा करने वालों की हड्डी-पसली तोड़ दी जाएंगी.

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शी ने कहा, अगर कोई भी विदेशी ताकत चीन को बांटने की ऐसी कोई कोशिश करती है तो यह दिन में सपने देखने जैसा होगा.

हालांकि, चीनी नेता ने किसी का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया लेकिन पिछले सप्ताह ही हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन हुए थे. दूसरी तरफ, अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देश अल्पसंख्यक समुदाय उइगर के प्रति चीन के अनुचित बर्ताव को लेकर भी आवाज उठा रहे हैं. जिनपिंग के इस बयान को तिब्बतियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

नेपाल में करीब 20,000 तिब्बती रहते हैं. शी जिनपिंग के नेपाल दौरे में कुछ तिब्बती समूहों ने चीन के विरोध में प्रदर्शन भी किए.

चीन ने 1950 में तिब्बत में सेना भेजी थी और उसके बाद से चीन यहां शासन कर रहा है. चीनी शासन का विरोध करने वाले तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने 1959 में भागकर भारत में शरण ली थी. बीजिंग के अधिकारी दलाई लामा को खतरनाक प्रतिक्रियावादी की तरह देखते हैं जो चीन के महत्वपूर्ण क्षेत्र का बंटवारा करना चाहते हैं.

चीन हॉन्ग कॉन्ग में अशांति में बाहरी ताकतों का हाथ बताता रहा है. 1997 तक ब्रिटिश उपनिवेश रहा हॉन्ग कॉन्ग ‘एक देश, दो व्यवस्थाएं’ के तहत चीन को सौंप दिया गया था लेकिन हॉन्ग कॉन्ग को राजनीतिक और कानूनी स्वायत्तता मिली हुई है. अब हॉन्ग कॉन्ग पर चीन की पकड़ मजबूत करने वाले प्रत्यर्पण कानून को लेकर लाखों लोग सड़कों पर हैं. अमेरिका ने भी हॉन्ग कॉन्ग को लेकर चेतावनी दी थी कि अगर चीनी अधिकारी कोई भी गलती करते हैं तो उसके साथ व्यापार वार्ता पर आगे बढ़ना बेहद मुश्किल होगा.

चीन के शिनजियांग प्रांत में बसे अल्पसंख्यक समुदाय को ट्रेनिंग कैंप के नाम पर कैद में रखने और उन पर तमाम तरह के प्रतिबंध को लेकर भी बीजिंग पूरी दुनिया में आलोचना झेल रहा है. पिछले सप्ताह अमेरिका ने मुस्लिम अल्पसंख्यक उइगर समुदाय के प्रति बर्ताव के विरोध में 28 चीनी कंपनियों को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया था.

 

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