शराबबंदी पर राजस्थान के CM अशोक गहलोत ने कहा-गुजरात में घर-घर में पी जाती है शराब

गुजरात में शराबबंदी के बावजूद सबसे अधिक शराब बिकती है और घर-घर में पी जाती है। राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के इस बयान को लेकर गुजरात में भारी हंगामा मचा है। भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष जीतूभाई वाघाणी व प्रवक्‍ता भरत पंड्या ने इसे गुजरात, गुजरातियों व महात्‍मा गांधी का अपमान बताया। साथ ही, सवाल भी उठाया कि क्‍या यहां के कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भी शराबी हैं।

भाजपा अध्‍यक्ष वाघाणी ने कहा है कि गहलोत कांग्रेस के राष्‍ट्रीय पदाधिकारी रह चुके हैं तथा राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री हैं। गहलोत का बयान गुजरात प्रदेश, गुजराती की जनता के साथ साथ महात्‍मा गांधी व सरदार पटेल का भी अपमान है। उन्‍होंने कहा कि गहलोत ने गुजरात की जनता को शराबी बताकर गुजराती समाज को बदनाम किया है। वाघाणी ने कहा कि गुजरात में कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता भी रहते हैं, क्‍या वे सब भी शराबी हैं, गहलोत को इसे भी स्‍पष्‍ट करना चाहिए। कांग्रेस हमेशा गुजरात व गुजरात के विकास की विरोधी रही है, उन्‍होंने गहलोत को सलाह देते हुए कहा कि राजस्‍थान में आप उपमुख्‍यमंत्री सचिन पायलट को संभालें, गुजरात अपना देख लेगा। गुजरात इस तरह की टिप्‍पणी को कभी बर्दाश्‍त नहीं करेगा।

प्रवकता भरत पंड्या ने कहा कि गुजरात में घर-घर में शराबी पी जाती है, ऐसा बयान गुजरात के हर परिवार के लिए आघात जनक है। गहलोत ने प्रदेश व गुजरात के युवाशक्ति, महिलाशक्ति व बुजुर्गों को भी शराबी बताकर उनका अपमान किया है। कांग्रेस ने हमेशा गुजरात के विकास, गुजरात की संस्‍कृति व गुजरात के गौरव गुजरात के नेतृत्‍व का विरोध किया है। कांग्रेस लोकमत को जीत नहीं सकी, इसलिए वह गुजरात की जनता को बदनाम करती है। कांग्रेस ने सरदार सरोवर बांध अर्थात गुजरात को पानी मिलने की विरोधी व शराब की समर्थक रही है। गुजरात कांग्रेस के नेताओं की इस बयान को लेकर चुप्‍पी शर्मजनक है।

जानें, क्या कहा अशोक गहलोत ने

अशोक गहलोत ने राजस्‍थान में शराबबंदी के मुद्दे पर गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा है कि गुजरात में आजादी के बाद से शराबबंदी है, लेकिन वहां सबसे अधिक शराब बिकती है, गुजरात में घर-घर में शराब पी जाती है। गहलोत ने यह भी कहा कि वे खुद व्‍यक्तिगत रूप से शराबबंदी के पक्ष में हैं, लेकिन इसको प्रतिबंधित करने से पहले कड़े प्रबंध आवश्‍यक हैं, अन्‍यथा गुजरात की तरह प्रतिबंध के कोई मायने नहीं रह जाते हैं।

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